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संसदीय समिति ने बैंकों में सीबीआई की डर को बताया अजीबो गरीब, कर्ज देने में समझदारी दिखाने पर दिया जोर

संसद की एक समिति ने सरकारी बैंकों में CBI और मुख्य सतर्कता आयोग (सीवीसी) के डर को एक अजीबो गरीब बताया। कर्ज देने में समझदारी दिखाने पर जोर दिया।

Dharmender Chaudhary
Updated : August 16, 2016 12:13 IST
संसदीय समिति ने बैंकों में CBI की डर को बताया अजीबो गरीब, कर्ज देने में समझदारी दिखाने पर दिया जोर
संसदीय समिति ने बैंकों में CBI की डर को बताया अजीबो गरीब, कर्ज देने में समझदारी दिखाने पर दिया जोर

नई दिल्ली। संसद की एक समिति ने सरकारी बैंकों में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और मुख्य सतर्कता आयोग (सीवीसी) के डर को एक अजीबो गरीब बताया। समिति ने बैंकों से कहा है कि वे कर्ज चुकाने में मुश्किल का सामना कर रही परियोजनाओं को धन देने के बारे में अपनी खुद की समझ और परियोजना की व्यावहारिकता के आधार पर निर्णय करें।

कंवर दीप सिंह की अध्यक्षता वाली संसद की परिवहन संबंधी स्थाई समिति के एक प्रतिवेदन में कहा गया है कि बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं के कर्ज की वसूली समय से नहीं होने से इस समय अवरद्ध बैंक परिसम्पत्ति (एनपीए) जो 2.6 लाख करोड़ रुपए के बराबर है वह बढ़ कर चार लाख रुपए तक हो सकती है। समिति की सिफारिश है कि बैंकों को कर्ज वसूली के लिए और अधिक अधिकार दिए जा सकते हैं।

संसद में पिछले सप्ताह रखी गई इस रिपोर्ट में कहा गया है, समिति को यह अजीबो गरीब लगता है कि बैंक सीबीआई और सीवीसी के डर के साए में काम करते हैं। बैंकों को अपनी ओर से निर्णय लेने की जरूरत है कि कोई एनपीए खाते को आगे कर दिया जाए या नहीं। ऐसा बैंकों को अपनी अनुमेय क्षमता के भीतर रहते हुए अपनी समझ से इस बारे में फैसला करना चाहिए। समिति ने सुझाव दिया कि बैंक को परियोजना की व्यवहार्यता देखनी चाहिए कि कुछ और कर्ज देने से क्या वह परियोजना मुनाफे में आ सकती है।

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