कोलकाता। देश के रीयल्टी सेक्टर का कुल वित्तपोषण 2011 के 3.8 अरब डॉलर से 40 प्रतिशत बढ़कर 2016 में 5.4 अरब डॉलर हो गया है। लेकिन इस क्षेत्र के कर्ज में बैंकों का हिस्सा उल्लेखनीय रूप से घटा है। एक रिपोर्ट के अनुसार रीयल्टी क्षेत्र को कर्ज में बैंकों का हिस्सा 2010 में 57 प्रतिशत था, जो 2016 में घटकर 24 प्रतिशत रह गया।
नाइट फ्रैंक इंडिया ने अपनी पूंजी बाजार रिपोर्ट के पहले संस्करण रीयल एस्टेट में संस्थागत वित्तपोषण का विश्लेषण पिछले कुछ साल में रीयल एस्टेट क्षेत्र को बैंकों का ऋण काफी अधिक घटा है। 2010 में यह 50 से 57 प्रतिशत था, जो 2016 में घटकर 24 से 26 प्रतिशत रह गया।
रिपोर्ट कहती है कि बढ़ती गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए), जोखिम के लिए ऊंचे प्रावधान और रीयल एस्टेट क्षेत्र में बढ़ते नुकसान की वजह से बैंकों द्वारा ऋण की पेशकश घटी है। इसे निजी इक्विटी (पीई) खिलाडि़यों ने भरा है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले कुछ साल से रीयल एस्टेट क्षेत्र की वित्तपोषण की जरूरत का करीब तीन-चौथाई पीई द्वारा पूरा किया जा रहा है। 2010 में यह आंकड़ा एक-चौथाई का था। वर्ष 2015 में 2010 के बाद इस क्षेत्र में सबसे अधिक पीई निवेश आया। 100 से अधिक सौदों में पीई निवेश 3.6 अरब डॉलर का रहा।