नई दिल्ली। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कहा है कि अगले दो साल के दौरान उभरते एशियाई क्षेत्र के बैंकों की पूंजी में कुछ गिरावट आएगी। इसके साथ मूडीज ने कहा है कि नया निवेश नहीं मिलने पर इस दौरान भारत के बैंकों की पूंजी सबसे अधिक घटेगी। मूडीज की सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि उभरते बाजारों के बैंकों के लिए संपत्ति की अनिश्चित गुणवत्ता सबसे बड़ी चुनौती है। इसकी वजह कोविड-19 महामारी के चलते परिचालन की परिस्थितियों का चुनौतीपूर्ण होना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उभरते बाजारों में 2021 के लिए बैंकों का परिदृश्य नकारात्मक है। वहीं बीमा कंपनियों के लिए यह स्थिर है। मूडीज ने कहा, ‘‘एशिया प्रशांत क्षेत्र में बैंकों की बढ़ती गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) और बीमा कंपनियों का उतार-चढ़ाव वाला निवेश पोर्टफोलियो चिंता का विषय है। अगले दो साल के दौरान उभरते एशिया में बैंकों की पूंजी घटेगी। सार्वजनिक या निजी निवेश नहीं मिलने की स्थिति में भारत और श्रीलंका के बैंकों की पूंजी में सबसे अधिक गिरावट आएगी।’’
हाल ही में एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में अनुमान दिया गया है कि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र की गैर-निष्पादित आस्तियां यानि एनपीए अगले 12 से 18 माह के दौरान बढ़कर कुल कर्ज के 11 प्रतिशत तक पहुंच सकते हैं। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि ऋण को डूबे कर्ज के रूप में वर्गीकृत नहीं करने की वजह से दबाव वाली संपत्तियां सामने नहीं आ पा रही हैं। कोविड-19 महामारी की वजह से इन संपत्तियों पर दबाव बना है। एसएंडपी ने कहा कि इस साल कुल कर्ज में एनपीए के अनुपात में काफी गिरावट के बाद वित्तीय संस्थानों के लिए आगे इसे कायम रख पाना मुश्किल होगा।
एसएंडपी ने कहा कि इस साल और अगले वर्ष बैंकिंग प्रणाली में कर्ज की लागत 2.2 से 2.9 प्रतिशत के उच्चस्तर पर बनी रहेगी। एसएंडपी ने कहा कि आर्थिक गतिविधियां शुरू होने, लघु और मध्यम आकार के उपक्रमों को सरकार की ओर से कर्ज की गारंटी और तरलता की बेहतर स्थिति से दबाव कम हो रहा है। हमारा डूबे कर्ज का अनुमान पिछले अनुमान से कम है, इसके बावजूद हमारा विचार है कि वित्तीय क्षेत्र 31 मार्च, 2023 को समाप्त वित्त वर्ष तक इस स्थिति से पूरी तरह उबर नहीं पाएगा।