नई दिल्ली। 9000 करोड़ रुपए के लोन डिफॉल्ट मामले में अब एक नया मोड़ आ गया है। शराब कारोबारी विजय माल्या ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा है कि बैंकों को उनकी व उनके परिवार की विदेशी संपत्तियों के बारे में जानकारी हासिल करने का कोई अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने माल्या को निर्देश दिया था कि वह 21 अप्रैल तक अपनी व अपने परिवार की भारत व विदेशी संपत्तियों की जानकारी उपलब्ध कराएं। इसके साथ ही कोर्ट ने माल्या से कहा था कि वह बताएं कि वह कब भारत आकर कोर्ट के समक्ष पेश होंगे।
माल्या ने अपने हलफनामा में कहा है कि वह एक एनआरआई है और वह विदेशों में परिसंपत्तियों का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि उनके तीनों बच्चे और पत्नी सभी अमेरिकी नागरिक हैं इसलिए उन्हें भी ऐसा कोई खुलासा करने की जरूरत नहीं है। माल्या ने अपने बयान में कहा कि बैंकों द्वारा लोन देते वक्त उनकी विदेशी संपत्तियों पर विचार नहीं किया गया था, इसलिए बैंकों को उनके बारे में जानने का कोई अधिकार नहीं है।
50 लाख रुपए के चेक बाउंस मामले में विजय माल्या दोषी करार
माल्या ने सुप्रीम कोर्ट से परिसंपत्तियों की जानकारी 26 जून तक बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को देने की अनुमति मांगी है और उन्होंने कहा कि यह जानकारी बैंकों को नहीं दी जानी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कर्नाटका हाईकोर्ट में अतिरिक्त 1398 करोड़ रुपए जमा करने की बात कही है। एक स्थानीय कोर्ट ने गुरुवार को विजय माल्या को चेक बाउंस मामले में दोषी करार दिया है और इस मामले में सजा का ऐलान 5 मई को किया जाएगा। जीएमआर हैदराबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड ने यह मामला दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि विजय माल्या द्वारा दिए गए 50-50 लाख रुपए के चेक बाउंस हो गए हैं।