नई दिल्ली। कोविड संकट की वजह से बैंकों का ग्रॉस एनपीए में आने वाले समय में बढ़त देखने को मिल सकती है, और वो अलग अलग स्थितियों में मार्च 2022 तक 9.8 प्रतिशत से लेकर 11.22 प्रतिशत के बीच रह सकता है। रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में आज ये अनुमान दिया गया है। खास बात ये है कि जनवरी की रिपोर्ट में अनुमान था कि सितंबर 2021 तक ग्रॉस एनपीए 13.5 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।
कहां पहुंच सकता है ग्रॉस एनपीए
आज रिजर्व बैंक के द्वारा जारी हुई फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में अनुमान दिया गया है कि सामान्य परिस्थितियों में सभी बैंकों का ग्रॉस एनपीए बढ़कर 9.8 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। वहीं मध्यम परिस्थितियों में ग्रॉस एनपीए 10.36 प्रतिशत और सबसे बुरी परिस्थितियों में ये 11.22 प्रतिशत पर पहुंच सकता है। मार्च 2021 के अंत तक ग्रॉस एनपीए 7.48 प्रतिशत के स्तर पर था। रिजर्व बैंक ने कहा कि सरकारी बैंकों का ग्रॉस एनपीए मार्च 2021 के 9.54 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2022 तक 12.52 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। रिजर्व बैंक के मुताबिक ये पिछले अनुमानों से बेहतर है। वहीं निजी बैंकों के लिये ग्रॉस एनपीए 6.04 प्रतिशत से 6.46 प्रतिशत तक पहुंच सकता है, जो कि मार्च 2021 में 5.82 प्रतिशत था। वहीं विदेशी बैंकों के लिये ये 5.35 प्रतिशत से 5.97 प्रतिशत रह सकता है जो कि मार्च 2021 में 4.9 प्रतिशत पर था। एक कर्ज तब एनपीए घोषित होता है जब उसके लिये 90 दिनों तक भुगतान न किया जाये।
जितनी आशंका थी उतना असर नहीं
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्तीय संस्थानों के लेखा-जोखा और कामकाज पर उतना प्रतिकूल असर नहीं पड़ा, जितना की पूर्व में आशंका थी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि नियामकीय स्तर पर जो राहत दिये गये हैं, उसके प्रभाव सामने के आने के बाद ही तस्वीर पूरी तरह से साफ होगी। उन्होंने यह भी कहा कि वित्तीय संस्थानों में पूंजी और नकदी की स्थिति यथोचित रूप से मजबूत बनी हुई है और भविष्य के किसी भी झटके को सहने में सक्षम है।
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