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देशव्यापी हड़ताल से बैंकिंग सेवाओं पर पड़ा असर, सरकार की नीतियों के खिलाफ दस केंद्रीय ट्रेड यूनियन हड़ताल पर

राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के सदस्यों के साथ विभिन्न क्षेत्रीय महासंघ भी हिस्सा ले रहे हैं। केंद्रीय यूनियनों में एटक, इंटक, सीटू, एआईसीसीटीयू, सेवा, एलपीएफ समेत अन्य शामिल हैं।

Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: January 08, 2020 12:41 IST
Banking services impacted due to nationwide trade union strike- India TV Paisa

Banking services impacted due to nationwide trade union strike

नई दिल्ली। दस केंद्रीय मजदूर संगठनों की ओर से बुलाई गई देशव्यापी हड़ताल में बैंक कर्मचारियों के शामिल होने से बुधवार को बैंकिंग सेवाओं पर असर पड़ा। हड़ताल की वजह से देश में कई जगहों पर सार्वजनिक बैंकों की शाखाओं में नकदी जमा करने और निकालने समेत अन्य गतिविधियां प्रभावित रहीं। ज्यादातर बैंक पहले ही अपने ग्राहकों को हड़ताल और उससे बैंकिंग सेवाओं पर पड़ने वाले असर के बारे में ग्राहकों को बता चुके हैं।

बैंक कर्मचारियों के सगठनों एआईबीईए, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीईएफ, आईएनबीओसी और बैंक कर्मचारी सेना महासंघ ने हड़ताल का समर्थन करने और इसमें भाग लेने की इच्छा जाहिर की थी। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने बताया कि बैंक कर्मचारियों ने 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आह्वान का समर्थन किया है।

उन्होंने कहा कि हमने बैंक विलय, निजीकरण, शुल्क वृद्धि और वेतन से जुड़े अन्य मुद्दों को लेकर सरकार की नीतियों का विरोध किया है। ऑल इंडिया रिजर्व बैंक एंप्लॉयज एसोसिएशन (एआईआरबीईए) और ऑल इंडिया रिजर्व बैंक वर्कर्स फेडरेशन (एआईआरबीडब्ल्यूएफ) और कुछ बीमा यूनियनों ने भी हड़ताल का समर्थन किया है।

सरकार की नीतियों के खिलाफ है हड़ताल

केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ दस ट्रेड यूनियनों के सदस्य बुधवार को देशव्यापी हड़ताल पर हैं। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के सदस्यों के साथ विभिन्न क्षेत्रीय महासंघ भी हिस्सा ले रहे हैं। केंद्रीय यूनियनों में एटक, इंटक, सीटू, एआईसीसीटीयू, सेवा, एलपीएफ समेत अन्य शामिल हैं।

उन्‍होंने कहा कि हम महंगाई, सार्वजनिक कंपनियों की बिक्री, रेलवे, रक्षा, कोयला समेत अन्य क्षेत्रों में 100 प्रतिशत एफडीआई और 44 श्रम कानूनों को संहिताबद्ध करने (श्रम संहिता) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार की नीतियों के खिलाफ अखिल भारतीय स्तर पर होने वाली इस हड़ताल में करीब 25 करोड़ लोगों के भाग लेने का अनुमान व्यक्त किया गया है।

यूनियनों की अन्य मांगों में सभी के लिए 6000 रुपए न्यूनतम पेंशन, किसानों के लिए न्यूनतम समर्थम मूल्य (एमएसपी) और लोगों को राशन की पर्याप्त आपूर्ति शामिल हैं। ऑयल यूनियन हड़ताल पर है। पूर्वोत्तर, ओडिशा, पुडुचेरी, केरल और महाराष्ट्र में बंद की स्थिति है।

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