मुंबई। रिजर्व बैंक की आर्थिक वृद्धि को लेकर बढ़ती चिंता को देखते हुए देश के प्रमुख बैंकरों का मानना है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान मार्च तक नीतिगत दर में 0.25 से लेकर 0.40 प्रतिशत तक और कटौती की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक न सुस्त पड़ती आर्थिक वृद्धि की चिंता में रेपो दर को इस वर्ष में लगातार पांचवीं बार कटौती की है। मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन चली बैठक के बाद शुक्रवार को रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 5.15 प्रतिशत कर दिया।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री और कार्यकारी उपाध्यक्ष अभीक बरुआ ने कहा की ताजा कटौती हालांकि, उम्मीद के अनुरूप की गई है लेकिन शेयर बाजार में इससे ज्यादा की उम्मीद की जा रही थी। आर्थिक वृद्धि आंकड़े में कटौती से भी बाजार में निराशा छा गई। स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की ताजा कटौती और इसके साथ ही आगे भी दरों में कटौती को लेकर नीतिगत स्वीकार्यता से यह सुनिश्चित होगा कि आर्थिक सुस्ती को थामने के लिये राजकोषीय और मौद्रिक नीतिगत उपाय दोनों साथ साथ काम करेंगे।
आर्थित वृद्धि का अनुमान घटा
रिजर्व बैंक ने मौद्रिक समीक्षा में आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 6.9 प्रतिशत से घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया। इसके साथ ही केन्द्रीय बैंक ने स्पष्ट संकेत दिया है कि आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने पर उसका ध्यान रहेगा। इससे आने वाले दिनों में और कटौती का संकेत मिलता है।
स्टैनचार्ट के मुख्य कार्यकारी जरीन दारुवाला ने कहा कि रिजर्व बैंक ने एक बार फिर वृद्धि के लिये अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। उसने ताजा कटौती के साथ ही भविष्य के लिये भी मौद्रिक नीति को उदार बनाये रखने की प्रतिबद्धता जताई है। पंजाब नेशनल बैंक के नवनियुक्त प्रबंध निदेशक मल्लिकार्जुन राव ने कहा कि रिजर्व बैंक का नजरिया उदार बना रहेगा, इससे आगे और कटौती की संभावना बनती है। राव ने कहा कि शुक्रवार को हुई कटौती सरकार द्वारा घोषित राजकोषीय उपायों के लिये सही मायनों में पूरक साबित होगी और इससे निजी खपत और निवेश गतिविधियों को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
इंडियन बैंक के प्रबंध निदेशक पदमजा चुंद्रू ने कहा कि मुद्रास्फीति लक्षित दायरे में है और रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति के रुख को उदार बनाये रखा है। कोटक महिन्द्रा बैंक के उपभोक्ता बैंकिंग अध्यक्ष शांति एकंबरम ने कहा कि मौजूदा त्यौहारी सत्र मांग और खपत बढ़ने के लिहाज से काफी अहम है। भविष्य में उठाये जाने वाला कोई भी कदम राजकोषीय और मौद्रिक नीति दोनों स्तर पर दिये गये लाभ के मांग और वृद्धि पर पड़ने वाले प्रभाव पर निर्भर करेगा। आईबीए के मुख्य कार्यकारी वीजी कण्णन ने कहा कि एक बार फिर रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के स्थान पर आर्थिक वृद्धि को अधिक तवज्जो दी है। केनद्रीय बैंक ने घरेलू वृद्धि को बढ़ाने के सरकार के हाल के उपायों को पूरक समर्थन दिया है।