नई दिल्ली। सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) सेक्टर के 42 लाख कर्जदारों को बैंकों ने आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत अब तक 1.63 लाख करोड़ रुपये कर्ज की मंजूरी दी है। यह जानकारी रविवार को वित्त मंत्रालय ने दी।
मंत्रालय की जानकारी के अनुसार, मंजूर किए गए कर्ज की कुल राशि में से 1.18 लाख करोड़ रुपये कर्ज का वितरण किया जा चुका है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "10 सितंबर तक 42,01,576 कर्जदारों को 1,63,226.49 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कर्ज राशि मंजूर की गई है और 10 सितंबर तक 25,01,999 कर्जदारों को 1,18,138.64 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई है। यह जानकारी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और निजी क्षेत्र के शीर्ष 23 बैंकों द्वारा दी गई है।"
कोरोना काल में केंद्र सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत आर्थिक पैकेज के घोषित स्कीमों की प्रगति की जानकारी देते हुए मंत्रालय ने बताया कि एनबीएफसी/एचएफसी/एमएफआई के लिए 30,000 करोड़ रुपये की विशेष तरलता योजना में भी अच्छी प्रगति हुई है और 11 सितंबर, 2020 तक 37 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है जिनमें 10590 करोड़ रुपये की राशि शामिल है। साथ ही 783.5 करोड़ रुपये के वित्तपोषण के लिए छह आवेदन प्रक्रियाधीन हैं।
नाबार्ड के जरिए किसानों के लिए 30,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आपातकालीन कार्यशील पूंजी राशि में से 28 अगस्त 2020 तक 25,000 करोड़ रुपये का वितरण किया गया है। विशेष तरलता सुविधा (एसएलएफ) के तहत 5000 करोड़ रुपये की शेष राशि छोटी एनबीएफसी और एनबीएफसी-एमएफआई के लिए आरबीआई द्वारा नाबार्ड को आवंटित की गई। मंत्रालय ने बताया कि नाबार्ड इसे शीघ्र ही शुरू करने के लिए परिचालन संबंधी दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप देगा।
इसके अलावा, नाबार्ड ने दो एजेंसियों एवं बैंकों के साथ मिलकर वित्त और आंशिक गारंटी योजना भी शुरू की है, ताकि कर्जदाताओं से कर्ज प्राप्त करने में बिना रेटिंग वाली एनबीएफसी/एमएफआई की मदद की जा सके। इस तरह की दो एजेंसियां और बैंकों के साथ मिलकर तैयार की गई इस व्यवस्था से उन छोटे एमएफआई के लिए ऋण की पात्रता 5-6 गुना बढ़ जाएगी जिन्हें कोई भी रेटिंग प्राप्त नहीं है। यह सुदूर और दुर्गम क्षेत्रों के लोगों, विशेषकर महिलाओं तक पहुंचने में एक गेम चेंजर साबित होगा।