नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों को सरकार की ओर से पूंजी नहीं मिल पाएगी। सूत्रों ने कहा कि पहली किस्त में उन बैंकों का ही पुनर्पूंजीकरण यानि रीकैपिटलाइजेशन किया जाएगा जिनका प्रदर्शन बेहतर रहा और जिन्हें पूंजी की सबसे अधिक जरूरत है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि सभी बैंकों को पहली किस्त में ही पुनर्पूंजीकरण बांड जारी किया जाए। बैंकों को पूंजी विभिन्न मानकों पर खरा उतरने मसलन सुधार आदि के आधार पर दी जाएगी।
अधिकारी ने कहा कि बैंक का पुनर्पूंजीकरण उनके प्रदर्शन, उनके द्वारा किए गए सुधारों तथा भविष्य की रूपरेखा के आधार पर किया जाएगा। चालू वित्त वर्ष में बैंकों में कितनी पूंजी डाली जाएगी इसका पता संसद की मंजूरी के बाद ही चलेगा। अधिकारी ने बताया कि सरकार ने अभी तक पुनर्पूंजीकरण बांडों के लिए सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) तय नहीं किया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अक्तूबर में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करने के लिए दो साल में 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डालने की रूपरेखा की घोषणा की थी। जून, 2017 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां (NPA) बढ़कर 7.33 लाख करोड़ रुपये हो गई हैं, जो मार्च, 2015 में 2.75 लाख करोड़ रुपये थीं। मौजूदा नीति के तहत सरकारी बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 52 प्रतिशत तक लाई जा सकती है। जेटली ने यह भी घोषणा की थी कि बैंकों को इंद्रधनुष योजना के तहत अगले दो साल में 18,000 करोड़ रुपये मिलेंगे।