नई दिल्ली। Maggi खाने वालों और इसकी निर्माता कंपनी नेस्ले के लिए खुशखबरी है। कर्नाटक और गुजरात सरकार ने नेस्ले की इंसटेंट नूडल्स मैगी की बिक्री पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया है। राज्य सरकारों ने यह फैसला तीन प्रयोगशालाओं द्वारा Maggi के 90 सैंपल को क्लीन चिट देने के बाद लिया है। गौरतलब है कि Maggi में लीड की मात्रा तय सीमा से अधिक पाये जाने पर देशभर में इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
नेस्ले का दावा- सुरक्षित है मैगी
नेस्ले इंडिया ने दावा किया है कि उसके सभी Maggi नूडल्स के सैंपल ने तीन प्रयोगशालाओं के टेस्ट को पास कर लिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने नेस्ले इंडिया को 90 सैंपल की जांच मोहाली, जयपुर और हैदराबाद की अधिकृत प्रयोगशालाओं में कराने के निर्देश दिए थे। इस टेस्ट से पास होने के बाद नेस्ले ने कहा कि मैगी पूरी तरह से मानव स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है और जल्द ही वह बाजार में कमबैक करेगी।
क्या कहा था हाईकोर्ट
13 अगस्त को बंबई उच्च न्यायालय ने Maggi नूडल्स के उत्पादन, वितरण, बिक्री और निर्यात पर लगे प्रतिबंध खारिज कर दिया था। उच्च न्यायालय ने मैगी के सैमपल्स को मोहाली, जयपुर और हैदराबाद के प्रयोगशालाओं जांच करने का आदेश दिया था। इस जांच में Maggi सही पाय जाने के बाद उत्पादन शुरु करने की अनुमति बात कही थी।
अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया से भी हरी झंडी
कंपनी ने बयान में कहा कि इसके अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में हुई जांच में भारत में बनी Maggi नूडल्स को खाने के लिए सुरक्षित पाया गया। नेस्ले आगे भी अपेक्स फूड रेग्युलेटर एफएसएसएआई को सहयोग करती रहेगी। इस साल जून में मैगी नूडल्स में लेड को स्वीकृत सीमा से ज्यादा पाकर उसे खाने के लिए ‘असुरक्षित और खतरनाक’ बताते हुए प्रतिबंधित कर दिया गया था। इससे कंपनी को बाजार से मैगी नूडल्स को वापस लेना पड़ा था।
कैसे शुरू हुआ मैगी विवाद
फूड सेफ्टी एवं ड्रग एडमिन्स्ट्रेशन एफडीए), उत्तरप्रदेश ने गोरखपुर के लैब में कराई जांच में पाया कि मैगी में भारी मात्रा में मोनोसोडियम ग्लूटामेट(एमएसजी) और लीड (सीसा) है। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में वीके पाण्डेय नामक एफडीए के अफसर ने दो दर्जन मैगी के पैकेट की जांच में इसका खुलासा किया था। मैगी में मैगी में मोनोसोडियम ग्लूटामेट(एमएसजी) का उपयोग स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है।
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