नई दिल्ली। प्रमुख कार विनिर्माता कंपनी टोयोटा ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) का दरवाजा खटखटाते हुए कहा है कि देश भर में डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का विचार कंपनी को मृत्युदंड देने जैसा है, क्योंकि इससे कंपनी के अस्तित्व ही आघात लगता है। टोयोटा ने अपनी याचिका में कहा है कि उसके द्वारा बनाए गए डीजल वाहनों के पंजीकरण पर प्रतिबंध लगाना अनुचित व अन्यायपूर्ण है क्योंकि वह सभी नियमों का पालन कर रही है। किसी भी तरह का प्रतिबंध उसकी बिक्री और ऑटोमोबाइल क्षेत्र से जुड़े हजारों लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल असर डालेगा। टोयोटा ने कहा है, आवेदक कंपनी को तो बिना किसी गलती या उल्लंघन की सजा मिल रही है इसलिए डीजल कारों के पंजीकरण पर प्रतिबंध लगाने का आदेश कंपनी के लिए अनुचित व अन्यायपूर्ण हुआ।
कंपनी की इस याचिका पर दो अगस्त को सुनवाई हो सकती है। उल्लेखनीय है कि 11 दिसंबर 2015 को अधिकरण ने दिल्ली एनसीआर में डीजल से चलने वाले नए वाहनों का पंजीकरण प्रतिबंधित कर दिया था। बाद में उच्चतम न्यायालय ने कहा आदेश दिया कि दिल्ली व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र 2000 सीसी से अधिक इंजिन क्षमता वाले डीजल चालित एसयूवी व कारों का पंजीकरण नहीं होगा।
हवा साफ हो न हो, डीजल कारों पर पाबंदी से उद्योग पर मार जरूर पड़ेगी: भार्गव
मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर सी भार्गव को लगता है कि राष्ट्रीय राजधानी में 10 साल पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध से हवा की गुणवत्ता में सुधार शायद ही हो पर इससे वाहन उद्योग पर निश्चित रूप से बुरा प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या यह उचित है कि प्रतिबंध से प्रभावित करीब दो लाख कार मालिकों को बिना उनकी बात सुने कह दिया जाए कि आपकी संपत्ति अब कबाड़ बन गई है। भार्गव ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण में कारों का योगदान केवल 2.2 प्रतिशत है।
यह भी पढ़ें- No More Waiting: इनोवो क्रिस्टा के लिए अब नहीं करना होगा लंबा इंतजार, टोयोटा ने बढ़ाया उत्पादन