पुणे। पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि अदालतों द्वारा दिल्ली-एनसीआर में 2,000 सीसी से अधिक इंजन क्षमता की डीजल कारों तथा एसयूवी पर प्रतिबंध एक सही तरीका नहीं है। इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए जावड़ेकर ने कहा कि सरकार ने पहले ही प्रदूषण को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। प्रतिबंध की वजह से बिल्कुल नई प्रौद्योगिकी वाले वाहनों पर प्रतिबंध लग गया, जबकि पुराने प्रदूषण फैलाने वाले वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं।
जावड़ेकर ने फोर्स मोटर के 100 करोड़ रुपए के नए संयंत्र के उद्घाटन के मौके पर कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि अदालतें इस बात को स्वीकार करेंगी कि नीति और क्रियान्वयन को लेकर निश्चितता होनी चाहिए। नीति और क्रियान्यन कार्यकारियों का काम है। किसी फैसले की वैधता को परखना अदालतों का काम है। उन्होंने आगे कहा कि सांसदों का काम कानून बनाना है, ये कुछ अंग हैं जो संविधान द्वारा बनाए गए हैं। जिन्हें स्वतंत्र तरीके से काम करना होता है। हमें स्वतंत्र तरीके से काम करना चाहिए जो आज समय की जरूरत है। यदि हम सभी एक दिशा में बढ़ेंगे तो हमने जो तय किए हैं उससे अधिक लक्ष्य पा सकेंगे।
पिछले साल दिसंबर में बड़ी डीजल कारों तथा एसयूवी के पंजीकरण पर लगाई गई रोक पर मंत्री ने उच्चतम न्यायालय का उल्लेख नहीं किया और सिर्फ अदालत और एनजीटी का जिक्र किया। जावड़ेकर ने कहा, मेरा मानना है कि यह सही तरीका नहीं है। अदालतों को यह तथ्य भी समझना चाहिए क्योंकि आप नए वाहनों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं, इस वजह से पुराने वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं, जो अधिक प्रदूषण फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण सिर्फ दो साल में नहीं बढ़ा है, यह पिछले दस साल में बढ़ा है। अदालतों को सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को भी देखना चाहिए। मसलन प्रदूषण से लड़ाई के लिए यूरो छह की ओर स्थानांतरण।
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