नई दिल्ली। बैड बैंक की स्थापना से देश के बैंकिंग क्षेत्र में फंसे कर्ज की समस्या का समाधान करने में तेजी आएगी। यह कहना है वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच का। उसने यह भी कहा है कि इसके साथ ही सरकार की तरफ से क्षेत्र में विश्वसनीय ढंग से पूंजी डालने का काम भी होना चाहिए।
एजेंसी ने कहा है कि देश के बैंकों के समक्ष उनकी संपत्ति गुणवत्ता की बड़ी समस्या खड़ी है। इससे उनके मुनाफे और पूंजी पर काफी दबाव पड़ रहा है। इसके साथ ही इससे उनकी कर्ज देने की क्षमता में भी अड़चन खड़ी हो रही है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज में फंसी राशि (एनपीए) को खरीद कर एक बैड बैंक में रखने का विचार हाल ही में जारी आर्थिक सर्वेक्षण में दिया गया है।
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फिच रेटिंग ने एक वक्तव्य में कहा है,
एक बैड बैंक बनाने से भारत के बैंकिंग क्षेत्र में फंसे कर्ज का समाधान तेज हो सकता है, लेकिन इसमें कई तरह की सुविधा संबंधी समस्याएं सामने आ सकती हैं। इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी की कमी को दूर करने के लिए एक विश्वसनीय पुनर्पूंजीकरण कार्यक्रम भी चलाना होगा।
- फिच का मानना है कि आने वाले साल में बैंकों की गैर-निष्पादित राशि (एनपीए) सितंबर 2016 के 12.3 प्रतिशत से और बढ़ेगा।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में यह अनुपात उल्लेखनीय रूप से ऊंचा है।
- एजेंसी के अनुसार, इस मामले में सरकार के समर्थन से बड़ा बैड बैंक बनाना अधिक फायदेमंद होगा।
- यह बैंक ठीक ढंग से काम कर सके इसके लिए जरूरी है कि फंसे कर्ज का मूल्य निर्धारण करने की सुनियोजित प्रणाली तैयार की जाए।
- खासतौर से इस बात को ध्यान में रखते हुए कि बैड बैंक को वाणिज्यिक ढंग से चलाने की मंशा होनी चाहिए और इसमें निजी क्षेत्र के निवेशकों को भी शामिल किया जाना है।
- फिच के मुताबिक बेसेल-तीन मानकों के अनुपालन और आने वाले व्यावसायिक जरूरतों को पूरा करने के लिए वर्ष 2018-19 तक भारतीय बैंकिंग क्षेत्र को 90 अरब डॉलर की पूंजी जरूरत होगी।