नई दिल्ली। बाबा रामदेव की अगुवाई वाली पतंजलि आयुर्वेद ने रुचि सोया के ऋणदाताओं के फैसले को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में चुनौती दी है। रुचि सोया के ऋणदाताओं ने अडानी विल्मर की कंपनी के अधिग्रहण की 6,000 करोड़ रुपए की पेशकश को स्वीकार कर लिया है।
सूत्रों ने बताया कि एनसीएलटी की मुंबई पीठ में इस मामले पर 27 अगस्त को सुनवाई हो सकती है। इस बारे में संपर्क करने पर पतंजलि के प्रवक्ता एस के तिजारावाला ने कोई टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि यह मामला अदालत में लंबित है। अडानी समूह के प्रवक्ता ने भी टिप्पणी से इनकार किया।
दिवाला हो चुकी रुचि सोया के ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) ने कल अडानी विल्मर की बोली को मंजूरी दे दी थी। अडानी विल्मर की बोली के पक्ष में 96 प्रतिशत मत पड़े थे। बैंकों द्वारा किसी बोली को स्वीकार करने के बाद निपटान पेशेवरों को एनसीएलटी की मंजूरी लेनी होती है। रुचि सोया के अधिग्रहण के लिए अडानी विल्मर और पतंजलि के बीच काफी समय से होड़ लगी है।
रुचि सोया के लिए अडानी विल्मर ने 6,000 करोड़ रुपए की सबसे ऊंची बोली लगाई थी, वहीं पतंजलि समूह ने 5,700 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। पतंजलि आयुर्वेद ने इससे पहले रुचि सोया के निपटान पेशेवर से बोली प्रक्रिया में अडानी समूह की पात्रता पर स्पष्टीकरण मांगा था। उसने यह पूछा था कि किस मानदंड के आधार पर निपटान पेशेवर ने अडानी विल्मर को सबसे ऊंची बोली लगाने वाला घोषित किया है।
पातंजलि ने कानूनी सेवा फर्म साइरिल अमरचंद मंगलदास को आरपी का कानूनी सलाहकार नियुक्त किए जाने पर भी सवाल उठाया था क्योंकि यह विधि सेवा कंपनी अडानी समूह को पहले से ही सलाह दे रही थी। गौर तलब है कि कर्जदाताओं के समूह ने रुचि सोय के लिए दो दौर की बोली प्रक्रिया के बाद सीओसी ने अडानी विल्मर की बोली को स्वीकार कर लिया है। रुचि सोया पर कुल 12,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। कंपनी के कई विनिर्माण संयंत्र हैं। कंपनी के प्रमुख ब्रांडों में न्यूट्रिला, महाकोश, सनरिच, रुचि स्टार और रुचि गोल्ड शामिल हैं।