नई दिल्ली। कोरोना के असर को लेकर लगातार शोध जारी हैं और तमाम रिपोर्ट्स भी सामने आ रही हैं। हालांकि एक नई रिपोर्ट की माने तो कोरोना संकट का एक और खतरनाक साइड इफेक्ट भी सामने आ रहा है, जो कि कोरोना वायरस से तो सीधे नहीं जुड़ा है लेकिन महामारी से बदले हालातों ने इसका खतरा काफी बढ़ा दिया है। ये है स्मार्टफोन की लत से मानसिक और आपसी रिश्तों पर पड़ने वाला नकारात्मक असर। एक सर्वे रिपोर्ट ने इस खतरे के बारे में संकेत दिए हैं। ‘स्मार्टफोन और मानव संबंधों पर उसका प्रभाव-2020’ रिपोर्ट को हैंडसेट कंपनी वीवो की ओर से सीएमआर ने तैयार किया है। रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल में स्मार्टफोन का इस्तेमाल बढ़ा है जिससे उसके साइड इफेक्ट बढ़ने की आशंका बन गई है।
लॉकडाउन के दौरान बढ़ी स्मार्टफोन पर निर्भरता
भारतीय स्मार्टफोन पर प्रतिदिन औसतन सात घंटे बिता रहे हैं। सर्वे के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी के दौरान स्मार्टफोन का इस्तेमाल बढ़ा है। रिपोर्ट की माने तो महामारी से पहले से ही इस्तेमाल में बढ़त देखने को मिली थी लेकिन कोरोना के साथ ही इसमें और तेजी देखने को मिली है। इस रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल में स्मार्टफोन का इस्तेमाल बढ़ने से मानसिक स्वास्थ्य और आपसी संबंधों पर गहरा असर देखने को मिल सकता है।
कितना बढ़ा स्मार्टफोन का इस्तेमाल
रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च, 2020 (कोविड से पहले) में भारतीयों द्वारा स्मार्टफोन का इस्तेमाल 11 प्रतिशत बढ़कर 5.5 घंटे प्रतिदिन पर पहुंच गया। यह 2019 में औसतन 4.9 घंटे था। वहीं अप्रैल (कोविड के बाद) यह 25 प्रतिशत और बढ़कर 6.9 घंटे प्रतिदिन पर पहुंच गया।
स्मार्टफोन पर कहां वक्त दे रहे हैं भारतीय
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्क फ्रॉम होम के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल 75 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि कॉलिंग के लिए इसमें 63 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वहीं नेटफ्लिक्स, स्पॉटिफाई जैसी ओवर द टॉप (ओटीटी) सेवाओं के लिए स्मार्टफोन के उपयोग में 59 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। इसके अलावा सोशल मीडिया के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल 55 प्रतिशत बढ़ा है। गेमिंग के लिए इसमें 45 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। अध्ययन में एक और रोचक तथ्य सामने आया है। फोटो खींचने और सेल्फी लेने के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल प्रतिदिन 14 मिनट से बढ़कर 18 मिनट हो गया है।
क्या स्मार्टफोन के आदी हो रहे हैं भारतीय
वीवो इंडिया के निदेशक (ब्रांड रणनीति) निपुन मार्या ने कहा कि ‘‘हम सभी जानते हैं कि स्मार्टफोन एक बेहतर माध्यम है, विशेषरूप से कोविड-19 जैसी स्थिति में। बिना स्मार्टफोन के हम ‘बेकार’ हो जाएंगे। लेकिन यदि हम स्मार्टफोन या किसी अन्य चीज का अत्यधिक इस्तेमाल करते हैं, तो इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा। इसी वजह से हमने यह अध्ययन किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘स्मार्टफोन एक ‘एडिक्शन’ भी बन रहा है। मार्या ने कहा कि महामारी के बाद स्थिति सामान्य होने पर स्मार्टफोन का इस्तेमाल मौजूदा स्तर से घटेगा, लेकिन कुछ ऐसे बदलाव हैं जो कायम रहेंगे।
क्यों खतरनाक है स्मार्टफोन की लत
सर्वे में शामिल 84 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे सुबह उठने के बाद पहले 15 मिनट में अपना फोन देखते हैं। 46 प्रतिशत ने कहा कि वे दोस्तों के साथ एक घंटे की बैठक के दौरान कम से कम पांच बार अपना फोन उठाते हैं। 89 फीसदी ने माना कि वो फोन पर ज्यादा समय बिताने की वजह से अपने करीबी लोगों के साथ वक्त नहीं बिता पा रहे हैं। खास बात ये है कि लॉकडाउन, बीमारी के दौरान अलग थलग रहने, जॉब पर अनिश्चिततता, लोगों के आपसी मिलने जुलने पर रोक जैसी वजह से पहले से ही मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। वहीं माना जा रहा है कि स्मार्टफोन की लत स्थिति को और बिगाड़ सकती है।