हैदराबाद। आईटी क्षेत्र के दिग्गज टी वी मोहनदास पई का मानना है कि ऑटोमेशन के लगातार बढ़ने से देश के सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की करीब 10 फीसदी नौकरियां समाप्त हो जाएंगी। वहीं इस कृत्रिम इंटेलिजेंस के दौर में मध्यम स्तर के प्रबंधकों की हर साल करीब आधी नौकरियां पर असर होगा।
इन्फोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) तथा मानव संसाधन प्रमुख पई ने कहा, मेरा मानना है कि आईटी क्षेत्र में 10 फीसदी नई नौकरियां गायब हो जाएंगी। ऐसे में यदि यह क्षेत्र हर साल दो से ढाई लाख नौकरियों का सृजन करता है, तो इनमें से 25,000 से 50,000 गायब हो जाएंगी। पई ने कहा कि देश में आईटी उद्योग में 45 लाख लोग कार्यरत हैं। इनमें से मध्य स्तर के प्रबंधकों की संख्या 10 फीसदी या 4,50,000 है। इनके कामकाज के आटोमेशन से अगले एक दशक में 2,25,000 प्रबंधकों की नौकरियां समाप्त हो जाएंगी।
पई ने कहा कि आज बड़ी संख्य में मध्यम प्रबंधक स्तर के लोग सालाना 30 लाख से 70 लाख रुपए का वेतन पा रहे हैं। इनमें से आधे अगले दस साल में नौकरी गंवा देंगे। पई का मानना है कि आईटी इंजीनियरों की नई पीढ़ी के पास बेहतर कौशल तथा गहरा तकनीकी ज्ञान जरूरी है। उन्होंने कहा कि सिर्फ बी टेक की डिग्री रखने वालों के लिए संभावनाएं कम से कमतर होती जाएंगी।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आईटी नियुक्ति अब अधिक से अधिक विशेषज्ञता वाली हो जाएगी। कंपनियां ऊंची और अधिक विशेषज्ञता स्तर की तलाश में रहेंगी। उन्होंने कहा कि मैं उन्हें मास्टर्स (पोस्ट ग्रैजुएशन) करने की सलाह दूंगा। मणिपाल ग्लोबल एजुकेशन के चेयरमैन ने कहा कि एक सामान्य बी. टेक आज दसवीं की तरह है, क्योंकि आपको अगले 30 साल तक काम करना है।
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