नई दिल्ली। सरकार की वाहन क्षेत्र के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना उद्योग को ‘आत्मनिर्भर’ बनाएगी और इसकी वृद्धि दर को एक नए स्तर पर ले जाएगी। वाहन उद्योग से जुड़े संगठन और कंपनियों ने सरकार की इस पहल का स्वागत करते हुए यह बात कही। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को वाहन, दवा, दूरसंचार, कपड़ा, खाद्य उत्पाद और सौर फोटोवाल्विक उत्पाद क्षेत्र लिए पीएलआई योजना को मंजूरी दी। इस योजना के तहत घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 10 क्षेत्रों को दो लाख करोड़ रुपये का उत्पादन आधारित प्रोत्साहन देने का प्रावधान है। वाहन विनिर्माताओं के संगठन सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स (सियाम) ने कहा कि उद्योग को इस योजना का लंबे समय से इंतजार था। वहीं वाहन कलपुर्जा कंपनियों के संगठन ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एक्मा) ने कहा कि यह योजना उद्योग को शुद्ध निर्यातक बनने में मदद करेगी और आयात पर निर्भरता कम करेगी।
सियाम के अध्यक्ष केनिची आयुकावा ने एक बयान में कहा, ‘‘ हम भारतीय वाहन उद्योग में विश्वास जताने के लिए भारत सरकार का शुक्रिया करते हैं। उद्योग को इस योजना का लंबे समय से इंतजार था। यह उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता और वृद्धि को अगले स्तर तक ले जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि यह योजना घरेलू उद्योग को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने में सक्षम बनाएगी। इसके लिए सरकार ने अगले पांच साल में 57,000 करोड़ रुपये व्यय करने का प्रावधान किया है। उद्योग को भारी उद्योग और लोक उपक्रम मंत्रालय द्वारा योजना के विस्तृत ब्यौरे को जारी करने का इंतजार है।
इस बारे में एक्मा के अध्यक्ष दीपक जैन ने कहा, ‘‘वाहन और वाहन कलपुर्जा क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना को मंजूर करने की घोषणा एक स्वागत योग्य कदम है। यह उद्योग को आत्मनिर्भर और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा।’’ उन्होंने कहा कि संगठन इस योजना से उद्योग को शुद्ध निर्यातक के तौर पर बढ़ावा मिलने और आयात पर निर्भरता कम करने में मदद को लेकर आशावान है। वाहन डीलरों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशंस (फाडा) ने कहा कि पीएलआई योजना से सबसे अधिक लाभ वाहन उद्योग को होगा। फाडा के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी ने कहा, ‘‘ पीएलआई योजना भारतीय वाहन उद्योग को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगी और इसका भूमंडलीकरण करेगी।’’ उन्होंने कहा कि इस कदम से निर्यात बेहतर होगा।