नई दिल्ली। घरेलू मूल उपकरण विनिर्माताओं (OEM), नये कलपुर्जों और निर्यात की कमजोर मांग के कारण वाहन कल पुर्जा क्षेत्र का राजस्व 2020-21 में 14 से 18 प्रतिशत तक घट सकता है। रेटिंग एजेंसी ICRA ने यह अनुमान व्यक्त किया है। एजेंसी द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी तथा इसकी रोकथाम के लिये देश भर में लगाये गये लॉकडाउन से वाहन कल पुर्जा उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। हालांकि, बैटरी व टायर जैसे उद्योगों पर इसका असर कम रहने की संभावना है।
रेटिंग एजेंसी ने एक बयान में कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में वाहनों की बिक्री में करीब 15-16 प्रतिशत की गिरावट रहने के अनुमान हैं। इनमें से भी यात्री वाहन श्रेणी में गिरावट 22 से 25 प्रतिशत तक की रह सकती है। एजेंसी ने कहा कि धीमी आर्थिक वृद्धि, फाइनेंसिंग से जुड़ी कठिनाइयों तथा भारत स्टेज छह उत्सर्जन मानकों के अनुपालन की वजह से वाहनों की कीमत वृद्धि के चलते चालू वित्त वर्ष कमर्शियल व्हीकल के लिये भी मुश्किलों भरा रहने वाला है। हालांकि, एजेंसी का मानना है कि दोपहिया वाहनों के लिये फायदे की स्थिति हो सकती है। लोग सार्वजनिक वाहनों के इस्तेमाल करने से कतरा रहे हैं। इसके अलावा दोपहिया वाहनों के लिये आसानी से फाइनेंस भी उपलब्ध है साथ ही कोरोना वायरस महामारी तथा इसके कारण लगी पाबंदियों से अपेक्षाकृत कम प्रभावित ग्रामीण व अर्द्धशहरी बाजारों से भी सकारात्मक संकेतों की मदद से दोपहिया वाहन खंड के लिये आगे रिकवरी संभव है।
एजेंसी ने कहा कि उसे वाहन कल पुर्जा क्षेत्र में धीरे धीरे क्रमिक सुधार की उम्मीद है। इक्रा के वरिष्ठ समूह उपाध्यक्ष सुब्रत रे ने कहा, “वित्त वर्ष 2020 में घरेलू मोटर वाहन उत्पादन में 14.7 प्रतिशत की गिरावट आयी है और वित्त वर्ष 2021 में भी 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी जा सकती है।’’