नई दिल्ली। दक्षिण पश्चिमी मानसून के लिए परिस्थिति बेहद अनुकूल बनी हुई है। भारतीय मौसम विभाग की माने तो केरल में मानसून की पहली बारिश 30 मई को हो सकती है। हालांकि, ऑस्ट्रेलियाई मौसम विभाग का कहना है कि भारत में मानसून मई नहीं, बल्कि जून के पहले हफ्ते में दस्तक देगा।
30 मई को केरल पहुंचेगा मानसून
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने कहा कि तय समय से पहले मानसून के आने के लिए स्थिति अनुकूल दिख रही है। राजीवन ने बताया, मॉनसून की शुरुआत की तारीख 30 मई को घोषित की गई है, लेकिन ऐसी संभावना है कि एक दिन पहले ही केरल में दस्तक दे सकता है। आमतौर पर केरल में मौसमी बारिश की शुरुआत एक जून से होती है, जिसे देश में मानसून के आगमन का प्रतीक माना जाता है।
अनुमान है कि इस बार मानसून सामान्य रहने वाला है। उन्होंने बताया कि इस बार क्लाउड सीडिंग का अध्ययन करने के लिए महाराष्ट्र के शोलापुर में दो विमानों की मदद से प्रयोग किया जाएगा। इस दौरान दो सौ सैंपल एकत्र किए जाएंगे, जिससे इस प्रयोग की सफलता का अनुमान लगाया जाएगा।यह भी पढ़े:सामान्य मानसून से कृषि जीडीपी की वृद्धि दर 3-4 प्रतिशत रहने का अनुमान, किसानों की बढ़ेगी आय
अल-नीनो की आशंका हुई कम
भारतीय मौसम विभाग के बाद अब ऑस्ट्रेलिया के मौसम ब्यूरो ने माना है कि इस साल भारत उपमहाद्वीप में अल-नीनो का प्रभाव कम ही देखने को मिलेगा। उनका कहना है कि अल-नीनो आता भी है तो वो बहुत ही कमजोर रहेगा, लेकिन उन्होंने 2017 के अंत में अल-नीनो पैदा होने की संभावना 50 फीसदी जताई है। यह भी पढ़े:SpiceJet के बाद Jet Airways ने शुरू की मानसून सेल, 1079 रुपए में हवाई सफर का मौका
ऑस्ट्रेलिया के मौसम ब्यूरो का कहना है कि मानसून को मजबूती देने वाली मौसमी प्रक्रिया इंडियन ओशन डाइपोल यानी IOD हिंद महासागर पर तैयार हो रहा है। आपको बता दें कि अल-नीनो के कमजोर रहने पर देश में बरसात के सीजन में अच्छी बारिश होती है।
क्या है अल-नीनो
अल नीनो पेरू के समुद्री तट के निकट चलने वाली गर्म जलधारा है। यह एक समुद्री परिघटना है। समुद्र के तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आये बदलाव के लिए अल नीनो को उत्तरदायी माना जाता है।अल नीनो प्रशांत महासागर में पेरू के निकट समुद्री तट के गर्म होने वाली घटना को कहा जाता है।#Monsoon2017: दो दिन पहले केरल पहुंचेगा मानसून, IMD ने कहा- परिस्थिति अनुकूल समय पर होगी बारिश
प्रशांत महासागर में बीते कुछ वर्षों से समुद्र की सतह गर्म हो जाती है, जिससे हवाओं का रास्ता और रफ्तार बदल जाती है। इस कारण मौसम का चक्र बुरी तरह से प्रभावित होता है। मौसम के बदलाव की वजह से कई जगह सूखा पड़ता है तो कई जगहों पर बाढ़ आती है। इसका असर दुनिया भर में महसूस होता है।