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अगस्त में थोक महंगाई दर दो साल के उच्चतम स्तर 3.74 फीसदी पर पहुंची, आलू, दाल और फल हुए महंगे

थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) अगस्त में बढ़कर 3.74 फीसदी पर पहुंच गई, जो इसका दो साल का उच्चस्तर है। इस दौरान आलू और दाल में तेजी आई।

Dharmender Chaudhary
Updated : September 14, 2016 15:28 IST
Inflation Punch: अगस्त में थोक महंगाई दर दो साल की ऊंचाई 3.74 फीसदी पर पहुंची, दाल और फल हुए महंगे
Inflation Punch: अगस्त में थोक महंगाई दर दो साल की ऊंचाई 3.74 फीसदी पर पहुंची, दाल और फल हुए महंगे

नई दिल्ली। थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) अगस्त में बढ़कर 3.74 फीसदी पर पहुंच गई, जो इसका दो साल का उच्चस्तर है। दालों और विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी से थोक महंगाई बढ़ी है। हालांकि, इस दौरान सब्जियों की कीमतों में गिरावट भी आई। जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर 3.55 फीसदी पर थी। अगस्त, 2015 में यह शून्य से 5.06 फीसदी नीचे थी। इससे पहले अगस्त, 2014 में यह 3.74 फीसदी के उच्च स्तर पर थी। अगस्त में सब्जियों की महंगाई दर घटकर 0.17 फीसदी रह गई, जबकि जुलाई में यह 28.05 प्रतिशत थी।

दाल और आलू हुआ महंगा, प्याज की कीमतों में गिरावट

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अगस्त में दालों की महंगाई दर 34.55 फीसदी रही। इसी तरह समीक्षाधीन महीने में आलू 66.72 फीसदी महंगा हुआ, वहीं प्याज 64.19 फीसदी सस्ता हुआ। चीनी की महंगाई दर 35.36 फीसदी रही। वहीं माह के दौरान फल 13.91 फीसदी महंगे हुए। कुल मिलाकर अगस्त में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर घटकर 8.23 फीसदी रह गई, जो जुलाई में 11.82 फीसदी पर थी।  नवंबर, 2014 से मार्च, 2016 तक थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर नकारात्मक दायरे में रही। पिछले पांच महीनों से यह लगातार बढ़ रही है। हालांकि, कुछ उत्पादों मसलन पेट्रोल और खनिजों में अपस्फीति का रूख जारी है। समीक्षाधीन महीने में पेट्रोल 8.65 फीसदी सस्ता हुआ, वहीं खनिजों के दाम 3.44 फीसदी घटे।

रिटेल महंगाई 5 महीने के निचले स्तर पर

जून माह के थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई के आंकड़ों को ऊपर की ओर संशोधित कर 2.12 फीसदी किया गया है। पहले इसका अस्थाई अनुमान 1.62 फीसदी लगाया गया था। जहां थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई बढ़ रही है वहीं खुदरा महंगाई दर अगस्त में पांच माह के निचले स्तर 5.05 फीसदी पर आ गई। खुदरा महंगाई दर में कमी और जुलाई में औद्योगिक उत्पादन में 2.4 फीसदी की गिरावट के बाद रिजर्व बैंक की अगली 4 अक्टूबर की मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में कटौती की संभावना बढ़ी है। पिछले महीने आखिरी मौद्रिक समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रखी थी।

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