नई दिल्ली। टैक्स चोरी को रोकने के लिए सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत ऑडिटरों को अपनी ग्राहकों की ओर से आयकर अधिकारियों के सामने ऑडिट रिपोर्ट फाइल करते समय उसमें अचल संपत्ति के सिलसिले में 20,000 रुपए से अधिक के लेन-देन का भी ब्योरा देना होगा। आयकर अधिनियम के तहत 50 लाख रुपए से अधिक की सकल आय अर्जित करने वाले प्रोफेशनल्स और एक करोड़ रुपए से अधिक कारोबार करने वाली कंपनियों को अपने खाते का ऑडिट कराना होगा। वर्ष 2018-19 से कंपनियों के लिए कारोबार की सीमा बढ़ाकर दो करोड़ रुपए कर दी गई है।
ऑडिटरों को आयकर रिटर्न के साथ दाखिल टैक्स ऑडिट रिपोर्ट में लिए गए कर्ज और 20,000 रुपए से अधिक की अदायगी का उल्लेख करना होता था। अब इस रिपोर्ट में संपत्ति से जुड़े 20,000 रुपए से अधिक के लेन-देन का भी उल्लेख करना होगा। इस कदम से वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता आएगी तथा कर अपवंचन रोकने में मदद मिलेगी।
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आयकर विभाग के नोटिफिकेशन के अनुसार, ऑडिटरों को वित्त वर्ष 2016-17 से 20,000 रुपए से अधिक की हर रकम के सिलसिले में वित्तीय लेन-देन का विवरण देना होगा। इसमें अचल संपत्ति के संदर्भ में भुगतान की गई और ली गई राशि शामिल है। ऑडिटर को भुगतान के तरीके भी बताने होंगे या यह भी बताना होगा कि भुगतान खाते में देय पैसे चेक या इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली के जरिए किया गया था।
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आयकर विभाग ने आयकर अधिनियम की धारा 44AB के तहत कर ऑडिट रिपोर्ट के फार्म 3CD को संशोधित किया है। इसके लिये अधिसूचना जारी की गई है। संशोधित नियम 19 जुलाई 2017 से प्रभाव में आ जाएंगे। निर्धारण वर्ष (एसेसमेंट ईयर) 2017-18 में यह लागू होगा।