नई दिल्ली। विश्व साइकिल दिवस बीतने के साथ ही भारत में साइकिल का एक युग भी बीत गया है। 71 साल के दौरान देश में साइकिल का पर्याय बन चुके एटलस साइकिल की आखिरी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट भी अब बंद हो गई है। मैनेजमेंट ने फंड की कमी की वजह से साहिबाबाद स्थित यूनिट को बंद करने का फैसला लिया है। ये कंपनी की आखिरी यूनिट थी जिसमें काम जारी था।
हालांकि मैनेजमेंट ने मीडिया से बातचीत में कहा कि ये बंदी अस्थाई है कंपनी फंड को जुटाने की कोशिश कर रही है, फंड मिलने के साथ ही यूनिट एक बार फिर से शुरू की जाएगी। कंपनी ने साफ किया उत्पादन बंद होने से प्रभावित हुए कर्मचारियों को नियमों के मुताबिक पैसा मिलेगा। कंपनी के मुताबिक कर्मचारियों को निकाल नहीं जा रहा है, उन्हे प्लांट में आना होगा। कंपनी ने संकेत दिए हैं कि फंड मिलने पर उनके वेतन का भुगतान किया जाएगा। साहिबाबाद प्लांट देश का सबसे बड़ा साइकिल प्लांट है। यहां सालाना 40 लाख साइकिल बनाने की क्षमता है, प्लांट में करीब 1000 कर्मचारी काम करते हैं।
कंपनी साल 2014 से लगातार घाटे में चल रही थी इस वजह से साल 2014 में मालनपुर प्लांट और साल 2018 में सोनीपत प्लांट को भी बंद कर दिया गया। फिलहाल साहिबाबाद ही अकेला प्लांट था जिसमें काम जारी था। इसे भी अब बंद कर दिया गया है। एटलस की शुरुआत साल 1951 में जानकी दास कपूर ने सोनीपत में की थी। पहले ही साल कंपनी ने 12 हजार साइकिल का उत्पादन किया था। वहीं कंपनी ने साल 1958 से एटलस साइकिल का निर्यात भी शुरू कर दिया था।