नयी दिल्ली। एक बार फिर से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी (GST) के दायरे में लाने की चर्चा शुरू हो गई है। उद्योग मंडल एसोचैम ने पेट्रोलियम पदार्थों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में शामिल करने एवं स्टांप शुल्क जैसे कुछ स्थानीय एवं स्टाम्प शुल्क जैसे राज्य करों को भी इसमें मिलाने की मांग की है। बता दें कि अगर ऐसा होता है तो पेट्रोल के दामों में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है, जिससे वाहन चालकों और अन्य को काफी राहत मिलेगी।
एसोचैम की ओर से जीएसटी परिषद को दिये गए ज्ञापन में कहा गया है कि पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी से बाहर रखने की दो साल की अवधि पूरी हो चुकी है। इन पदार्थों के जीएसटी के बाहर होने से कारोबार की लागत में भी वृद्धि हो रही है। इसलिए इन पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के अंतर्गत लाया जाना चाहिए।
इसके अलावा एसोचैम ने कहा कि मंडी कर, सड़क कर और वाहन कर को भी जीएसटी में शामिल किया जाना चाहिये। इससे कारोबार से जुड़ी बाधाओं को दूर करने एवं इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को सुचारू तरीके से उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। इससे करों के व्यापक प्रभाव को कम करने में भी मदद मिलेगी। उद्योग मंडल ने जीएसटी परिषद को यह भी सुझाव दिया है कि विभिन्न शुल्कों की वापसी के लिये दिये जाने वाले चालान की बिक्री और बाजार संवर्धन कार्यों पर जीएसटी नहीं लगाया जाना चाहिये।
25 रुपए तक घट सकते हैं पेट्रोल के दाम
आपको बता दें कि इंडियन ऑयल की वेबसाइट के मुताबिक, दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल पर 35.56 रुपये वैट और एक्साइज ड्यूटी के तौर पर चुकाए जाते हैं। इसके अलावा औसतन डीलर कमीशन 3.57 रुपये प्रति लीटर और डीलर कमीशन पर वैट करीब 15.58 रुपये प्रति लीटर बैठता है। साथ ही 0.31 रुपये प्रति लीटर माल-भाड़े के रूप में चार्ज किए जाते हैं। ऐसे में अगर सरकार ऐसोचैम की मांगों को मानकर सरकार पेट्रोलियम उत्पादों को GST के दायरे में लाती है तो पेट्रोल 25 रुपये तक सस्ता हो सकता है। इसके अलावा ही अन्य राज्यों में पेट्रोल औ डीजल की कीमत में भारी गिरावट आ सकती है। हालांकि, इसे जीएसटी में लाने के बाद ही कुछ हो सकता है।