नई दिल्ली। सरकार ने देश में अप्रत्यक्ष करों की नई व्यवस्था को लागू करने वाले वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयकों को संसद के चालू सत्र में ही पारित किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इन विधेयकों के समय रहते पारित नहीं होने पर 15 सितंबर के बाद केंद्र और राज्यों के पास अप्रत्यक्ष कर वसूली का अधिकार नहीं रह जाएगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में कहा कि,
पेट्रोलियम और भूमि को इसके दायरे में लाने जैसे अन्य मुद्दों पर इस प्रणाली के अमल में आने के एक साल बाद विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार एक जुलाई से जीएसटी व्यवस्था लागू करना चाहती है।
आम बजट पर सामान्य चर्चा का जवाब देते हुए जेटली ने कहा जीएसटी से जुड़े चार विधेयकों को जल्द ही लोकसभा में पेश किया जाएगा। जीएसटी व्यवस्था का मार्ग प्रशस्त करते हुए संविधान संशोधन विधेयक पिछले साल दोनों सदनों में सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया था। जेटली ने कहा कि
जीएसटी को अमल में लाने के लिए विधेयकों को चालू बजट सत्र में ही पारित करना होगा। इसके बाद ही 15 सितंबर की समयसीमा के अनुरूप इस व्यवस्था को आगे बढ़ाया जा सकेगा। संसद का चालू बजट सत्र 12 अप्रैल को समाप्त हो रहा है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी संविधान संशोधन कानून में जीएसटी व्यवस्था में जाने के लिए 15 सितंबर की समयसीमा को आगे बढ़ाने की व्यवस्था नहीं दी गई है। यदि 15 सितंबर तक जीएसटी को लागू नहीं किया जाता है तो कर वसूली का सरकार का कानूनी अधिकार जाता रहेगा।