नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने घरेलू स्तर पर कालाधन रखने वालों से सरकार की ओर से चलाई जाने वाली अनुपालन योजना का लाभ उठाने को कहा है। इसके जरिए कालाधन रखने वाले लोग अपनी संपत्ति का खुलासा कर पाक-साफ हो सकते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जिन्होंने अब तक अपनी अघोषित विदेशी संपत्ति का खुलासा नहीं किया है, उन्हें परिणाम भुगतने होंगे।
जेटली ने उद्योग मंडल फिक्की के एक कार्यक्रम में कहा, कालाधन कानून 2015 के पीछे मकसद करदाताओं को अनुपालन का एक मौका देना है। कुछ लोगों ने इस अवसर का लाभ उठाया और मैं निश्चितता के साथ आपसे यह कह सकता हूं कि जिन्होंने ऐसा नहीं किया है, उन्होंने बड़ा जोखिम लिया है क्योंकि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां जी-20 देशों की पहल, अमेरिकी घरेलू कानून के साथ दुनिया खुलकर आगे आ रही है।
उन्होंने कहा कि एकबार वास्तविक समय पर सूचना के साझा करने की व्यवस्था आने के साथ विस्तृत ब्योरा हासिल करना कठिन नहीं है। उन्होंने कहा, जो लोग मौके से चूक गये, निश्चित रूप से उन्होंने काफी कुछ गंवा दिया है। इस मौके पर राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि विदेशी कालाधन के खुलासे के लिये दूसरी बार मोहलत नहीं मिलेगी। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार विदेशी कालाधन की घोषणा के लिये एक और मौका देने पर विचार कर रही है, अधिया ने कहा, मुझे नहीं लगता कि सरकार का ऐसा कोई इरादा है। एक बार मौका समाप्त होने के बाद दोबारा सुविधा नहीं मिलनी चाहिए। मुझे लगता है कि वित्त मंत्री का भी यही विचार होगा।
आय खुलासा योजना के संदर्भ में जेटली ने कहा कि सरकार चाहती है कि ज्यादा-से-ज्यादा लोग इसका उपयोग करें। आईडीएस 2016 के तहत चार महीने की मोहलत अवधि 30 सितंबर को समाप्त हो रही है। इसके तहत घरेलू कालाधन रखने वाले कुल 45 प्रतिशत कर एवं जुर्माना देकर अवैध संपत्ति की जानकारी दे सकते हैं। उन्होंने कहा, आय खुलासा योजना उस रणनीति का हिस्सा है जहां हम चाहते हैं लोग पाक साफ हों। जेटली ने संकेत दिया कि कर विभाग के पास कालाधन रखने वालों के बारे में सूचना है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी कर अधिकारियों के लिये भी काम को आसान बनाती है।
वित्त मंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी में सुधार के साथ कर चोरी का पता लगाना आसान होगा। साथ ही जीएसटी के क्रियान्वयन से कर चोरी रोकने में मदद मिलेगी। विभिन्न कर पहल के बारे में जेटली ने कहा कि सरकार ने पूर्व की तिथि से कराधान के कुछ मामलों को निपटाया है। उन्होंने कहा, हम कर नीति की स्थिरता बनाये रखने की कोशिश कर रहे हैं और कॉरपोरेट कर को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी दर पर लाने का प्रयास है क्योंकि दुनिया भर में करदाता निवेश करने से पहले इस पर गौर करने जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सरकार ने चालू वित्त वर्ष से चार साल में चरणबद्ध तरीके से कंपनी कर मौजूदा 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है।
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