नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ईपीएफ से धन निकासी पर टैक्स प्रस्ताव को वापस लेकर भारत के सैलरीड क्लास को बड़ी राहत दी है। इस टैक्स प्रस्ताव से एक सैलरीड पर्सन को 64,44,000 रुपए का नुकसान होने वाला था। इसलिए वित्त मंत्री के इस प्रस्ताव पर सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक बवाल मचना लाजमी था। यह रकम इतनी बड़ी है, जिसे सुनकर शायद आप भी सरकार के इस कदम का विरोध करने लगते।
टैक्स का असर होता गहरा
एओन हेविट में प्रेक्टिस लीडर, रिटायरमेंट प्लानिंग चित्रा जयासिम्हा का कहना है कि सरकार का यह प्रस्ताव भारत में वर्किंग क्लास के रिटायरमेंट प्लान को नुकसान पहुंचा सकता था। सामान्यत: कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद ही अपने ईपीएफ एकाउंट से पैसा निकालते हैं और इसे या तो जमीन या फिर अन्य रिटर्न-जनरेटिंग इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं।
कर्मचारियों को जेब होती हल्की
आइए इस टैक्स के असर को एक उदाहरण से समझते हैं। एक 25 वर्षीय युवा 16,000 रुपए बेसिक सैलरी के साथ कंपनी ज्वॉइन करता है। मान लेते हैं हर साल उसकी सैलरी 10 फीसदी बढ़ती है और वह 60 साल की उम्र में रिटायर होता है। इस दौरान सभी वर्षों में ईपीएफ में उसका योगदान 12 फीसदी रहा। वर्तमान परिस्थिति में रिटायरमेंट के समय ब्याज मिलाकर उसे तकरीबन 3.58 करोड़ रुपए मिलेंगे। यदि सरकार का टैक्स प्रस्ताव लागू होता, तो रिटायरमेंट के समय यदि वह इस राशि को निकालने का विकल्प चुनता तो उसे तकरीबन 18 फीसदी कम राशि हासिल होती।
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क्या कहा जेटली ने
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को लोक सभा में कहा कि सरकार इस प्रस्ताव पर विस्तृत समीक्षा करेगी। उन्होंने कहा कि प्रमुख मुद्दा यह है कि कर्मचारियों को कहां निवेश करें इसका विकल्प मिलना चाहिए, इसके पीछे धारणा लोगों को पेंशन स्कीम से जोड़ना था, न के राजस्व हासिल करना।
क्या था प्रस्ताव
29 फरवरी को बजट भाषण में जेटली ने 1 अप्रैल 2016 से ईपीएफ से पैसा निकालने पर आंशिक टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया था। वर्तमान में ईपीएफ से पैसा निकालने पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इस नए प्रस्ताव के तहत, ईपीएफ से 40 फीसदी तक निकासी को टैक्स फ्री रखा गया था, जबकि शेष 60फीसदी निकासी पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव था। जेटली ने कहा था कि यदि इस 60 फीसदी राशि को पेंशन एन्यूटी योजना में निवेश किया जाता है, तो इस पर इनकम टैक्स छूट मिलेगी।