नई दिल्ली। दुनिया की सबसे बड़ी इस्पात निर्माता कंपनी आर्सेलर मित्तल ने बैंक कर्ज चुकाने में असफल रही उत्तम गाल्वा का बकाया निपटाने के लिए भारतीय स्टेट बैंक में 7,000 करोड़ रुपए जमा करा दिए हैं, ताकि वह (आर्सेलर मित्तल) एस्सार स्टील के अधिग्रहण की बोली के लिए पात्र कंपनी बन जाए। घटनाक्रम से जुड़े एक व्यक्ति ने इसकी जानकारी दी है।
आर्सेलर मित्तल की एस्सार स्टील के लिए लगाई गई बोली को लेकर सवाल उठने लगे थे। ऐसा कहा गया कि आर्सेलर मित्तल की उत्तम गाल्वा में शेयरहोल्डिंग रही है जो कि बैंकों का कर्ज चुकाने में असफल रही। इसलिए आर्सेलर मित्तल एस्सार स्टील के अधिग्रहण के लिए बोली लगाने की पात्र नहीं हो सकती। दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता के नियम ऐसे प्रवर्तकों, जो कि खुद बैंक कर्ज नहीं चुकाने के दोषी हैं उन्हें उस कंपनी के लिए बोली लगाने से रोकते हैं, जिसकी नीलामी बैंक के कर्ज की वसूली के लिए की जा रही है।
बहरहाल, आर्सेलर मित्तल की 7,000 करोड़ रुपए की राशि को स्टेट बैंक के अलग खाते में रखा गया है। जानकार व्यक्ति ने कहा है कि इस खाते की राशि को उत्तम गाल्वा स्टील और केएसएस पेट्रान लिमिटेड के बकाया का भुगतान करने के लिए किया जा सकता है।
एसएफआईओ करेगी रुचि सोया इंडस्ट्रीज की जांच
रुचि सोया इंडस्ट्रीज ने आज कहा कि उसे कंपनी के मामलों की जांच के लिए गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) से पत्र मिला है। एक आधिकारिक सूत्र ने सोमवार को इसकी जानकारी दी थी कि एसएफआईओ रुचि सोया और दो अन्य कंपनियों की जांच कर रहा है। इन कंपनियों में वित्तीय अनियमितताओं की जांच की जाएगी।
बंबई शेयर बाजार को भेजी सूचना में कंपनी ने कहा है कि उसे एसएफआईओ से कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 212 (1) के तहत कंपनी के विभिन्न मामलों की जांच के बारे में पत्र प्राप्त हुआ है। कंपनी कानून की धारा 212 एसएफआईओ की जांच के संदर्भ में है।