नई दिल्ली। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ONGC के क्षेत्र की गैस अनुचित तरीके से निकाले जाने के मामले में इस निजी कंपनी से 1.55 अरब डॉलर के मुआवजे की सरकार की मांग को चुनौती देने वाली अर्जी पर तीन सदस्यीय पंच निर्णय समिति में सुनवाई शुरू हो गयी है।
सिंगापुर के पंच प्रो. लॉरेंस बू की अगुवाई वाली पंच निर्णय समिति की पहली बैठक तीन मार्च को हुई थी जिसमें कार्यवाही के लिए समयसारिणी तय की गई। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी।
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सूत्रों ने कहा कि सबसे पहले RIL अपने दावों के समर्थन में बयान दर्ज कराएगी। उसके बाद सरकार अपना जवाब देगी। उसके बाद प्रत्युत्तर, प्रति-प्रत्युत्तर तथा मौखिक सुनवाई होगी। सूत्रों ने बताया कि समिति एक साल में अपनी सुनवाई पूरी कर लेगी।
केंद्र सरकार ने पंच निर्णय समिति के लिए अपनी ओर से उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी को पंच बनाया है। RIL और उसकी भागीदार ब्रिटेन की BP Plc और कनाडा की निको रिसोर्सेज ने ब्रिटेन उच्च न्यायालय के पूर्व जज बर्नार्ड एडर को अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया है।
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रिलायंस इंडस्ट्रीज-बीपी-निको ने पिछले साल 11 नवंबर को पंच निर्णय कार्रवाई का नोटिस दिया था। इससे पहले पेट्रोलियम मंत्रालय ने RIL निको और ब्रिटेन की BP को 3 नवंबर, 2016 को नोटिस भेजकर बंगाल की खाड़ी में KG-D ब्लॉक के पास ONGC के ब्लॉक से 31 मार्च, 2016 तक साल के दौरान गैस उत्पादन के लिए 1.47 अरब डॉलर के मुआवजे का नोटिस भेजा था।
उत्पादित गैस पर काटी गई 7.17 करोड़ डॉलर की रॉयल्टी को जोड़ने तथा लिबोर जमा दो प्रतिशत के ब्याज को जोड़ने के बाद RIL, BP और निको पर कुल 1.55 अरब डॉलर की मांग बनाई गई।
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रिलायंस इंडस्ट्रीज KG-D6 ब्लाक की परिचालक है। इसमें उसकी 60 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। BP के पास 30 प्रतिशत तथा शेष 10 प्रतिशत हिस्सेदारी निको रिसोर्सेज के पास है। ONGC का तेल-गैस क्षेत्र की सीमा उससे लगती है। सरकार ने इस विवाद में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ए पी शाह समिति की रिपोर्ट के आधार पर मुआवजे का दावा किया है।