नई दिल्ली। भारतीय उपभोक्ताओं पर Apple का जादू असर नहीं कर रहा है। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्मार्टफोन बाजार में सस्ते और अन्य कई विकल्प मौजूद होने की वजह से लोग एप्पल iPhones को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे हैं। भारत में आईफोन अभी तक के सबसे गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। नई रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2016 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में आईफोन की बिक्री 2015 की दूसरी तिमाही के मुकाबले भारत में 35 फीसदी घटी है। दूसरी तिमाही में एप्पल ने केवल 3.07 करोड़ स्मार्टफोन की बिक्री की है। कम बिक्री की वजह से भारत में आईओएस की बाजार हिस्सेदारी भी 50 फीसदी घट गई है। भारत के स्मार्टफोन बाजार पर 97 फीसदी हिस्सेदारी के साथ एंड्रॉयड सबसे ऊपर है और अन्य सभी ऑपरेटिंग सिस्टम को इससे कड़ी चुनौती मिल रही है।
स्ट्रेट्जी एनालिटिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक आईओएस मोबाइल की बाजार हिस्सेदारी पिछले साल के 4.5 फीसदी से घटकर इस साल 2.4 फीसदी पर आ गई है। वहीं गूगल के एंड्रॉयड स्मार्टफोन की बाजार हिस्सेदारी पिछले साल के 90 फीसदी से बढ़कर इस साल 97 फीसदी पर पहुंच गई है।
अधिक कीमत है वजह
भारत में एप्पल की घटती लोकप्रियता का कारण केवल सस्ते मोबाइल से मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा ही नहीं बल्कि इसकी बिक्री रणनीति भी है, जो काम नहीं कर रही है। आईफोन एसई, जिसे एप्पल का सबसे सस्ता आईफोन माना जा रहा था, इसकी कीमत 39,000 (493 डॉलर) रुपए थी। भारत में औसत स्मार्टफोन की कीमत 158 डॉलर है और इसकी तुलना में एप्पल का यह फोन भी काफी महंगा है। भारत में बिकने वाले प्रत्येक 10 स्मार्टफोन में से 9 की कीमत 10,000 रुपए से कम है। एप्पल ने विशेष डिस्ट्रीब्यूशन और रिटेल पार्टनर्स बनाए हैं लेकिन एक ऐसे देश में जहां एक तिहाई स्मार्टफोन की बिक्री इंटरनेट के जरिये होती है, एप्पल वहां अपने प्रोडक्ट्स ऑनलाइन नहीं बेचती है। एप्पल ने कॉरपोरेट कस्टमर्स के लिए 24 महीने का लीज प्लान भी लॉन्च किया था, जिसे ज्यादा सफलता नहीं मिली।
बड़े परिवार भी एक कारण
कैनेली के विश्लेषक डेनियल मैट का कहना है कि एप्पल के लिए भारत एक कठिन और चुनौतीपूर्ण बाजार है, क्योंकि यहां उपभोक्ता बहुत ज्यादा मूल्य के प्रति संवेदनशील हैं। अमेरिका के बाहर चीन और भारत एप्पल के सबसे बड़े स्मार्टफोन बाजार हैं। मैट कहते हैं कि चीन में एक बच्चा पॉलिसी के कारण परिवार छोटे हैं, जबकि भारत के परिवार बड़े होते हैं, जहां बच्चों को आय में बंटवारा और कम जेब खर्च जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है, जो परिवार के प्रत्येक सदस्य के पास स्मार्टफोन सुनिश्चितता को मुश्किल बनाता है।