नई दिल्ली। सरकार ने आज चीन से आयात होने वाले स्टील और फाइबर ग्लास के फीतों (Measuring Tapes) पर 5 साल के लिए एंटी डंपिग ड्यूटी बढ़ा दी है। सरकार ने ये कदम घरेलू कंपनियों के हितों को ध्यान में रखते हुए उठाया है। सरकार के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक स्टील के फीतों और उनके पार्ट्स के आयात पर 1.83 डॉलर प्रति किलो की एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई गई है। वहीं फाइबर ग्लास के फीतों और उनके पार्ट्स के आयात पर 2.56 डॉलर प्रति किलो की एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई गई है।
इन उत्पादों पर डीजीटीआर की जांच टीम की रिपोर्ट के बाद ड्यूटी लगाने का फैसला किया गया है। आरोप है कि भारतीय बाजार में ऐसे सस्ते सामानों को लगातार डंप किया जा रहा है। यानि सस्ती कीमतों की वजह से मांग से अलग लगातार प्रोडक्ट की सप्लाई की जा रही है। खास बात ये है कि अगर किसी प्रोडक्ट पर एंटी डंपिंग ड्यूटी की समयसीमा खत्म होती है तो तुरंत ही इन प्रोडक्ट की भारतीय बाजारों में डंपिंग शुरू कर दी जाती है। भले ही सरकार कुछ समय बाद इसपर फिर से ड्यूटी लगा दे लेकिन पुराने और नए कदम के बीच की अवधि में घरेलू बाजारों में ये प्रोडक्ट डंप कर दिए जाते हैं। सरकार ने इसी को देखते हुए फीतों पर डंपिंग ड्यूटी का ऐलान किया है।
सरकार ने सबसे पहले इन उत्पादों पर 9 जुलाई 2015 में 5 साल के लिए इंपोर्ट ड्यूटी लगाई थी। ये समय सीमा आज खत्म हो रही है। अब इस समय सीमा को अगले 5 साल के लिए बढ़ा दिया गया है। जिससे इन प्रोडक्ट के घरेलू बाजार में डंप किए जाने की संभावना खत्म हो गई है।
एंटी डंपिंग ड्यूटी उस वक्त लगाई जाती है जब देश को लगता है कि सस्ते होने की वजह से उसके बाजारों में कोई सामान इतना भरा जा रहा है कि उससे घरेलू उत्पादकों के लिए कोई मांग ही न बचे। इससे घरेलू उत्पदको को न केवल नुकसान होता साथ ही कई बार वो उस सामान का उत्पादन ही छोड़ देते हैं। ऐसे में संभावना होती है कि विदेशी उत्पादक घरेलू प्रतियोंगियों के न होने से धीरे धीरे कीमत बढ़ाकर मुनाफावसूली करने लगते हैं। हालांकि एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने से आयातकों को आयातित सामान महंगा पड़ता है और वो विदेशी उत्पादकों को छोड़कर घरेलू उत्पादकों से सामान खरीदने लगते हैं।