नई दिल्ली। भारत ने घरेलू निर्माताओं के हितों का ध्यान रखते हुए चीन और यूरोपीय संघ के कुछ फ्लैट इस्पात उत्पादों के आयात पर पांच साल के लिए एंटी डंपिंग शुल्क लगाया है। वाणिज्य मंत्रालय के अधीन आने वाले डीजीएडी ने इस तरह के आयात पर शुल्क लगाने की सिफारिश की थी। विभाग के सिफारिश पर ही ये शुल्क लगाया है। डीजीएडी ने अपने निष्कर्ष में कहा कि मिश्र धातु या गैर-मिश्र धातु इस्पात के प्री-पेंटेड उत्पादों को भारत में सामान्य मूल्य से नीचे निर्यात किया गया है, जिसके कारण घरेलू उद्योग को नुकसान का सामना करना पड़ा है।
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राजस्व विभाग ने अधिसूचना में कहा है कि इस अधिसूचना के तहत एंटी डंपिंग शुल्क जब तक रद्द, अधिस्थगित या संशोधित नहीं किया जाता है 11 जनवरी से पांच साल के प्रभावी रहेगा और इसका भुगतान भारतीय मुद्रा में किया जाएगा।
CBEC की लंबित अपील मामलों का बोझ कम करने की पहल
उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBEC) ने विवादों के लंबित रहने के मामलों को कम करने की पहल की है। CBEC ने प्रधान मुख्य आयुक्तों के पास लंबित विवादित मामलों को विभाग के भीतर ही आयुक्त वर्ग के अधिकारियों को आवंटित करने का फैसला किया है।
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जनवरी 2017 की स्थिति के अनुसार केंद्रीय उत्पाद शुल्क से जुड़े 3,116 करोड़ रुपए की कर राशि के 14,706 मामले आयुक्त अपील के समक्ष लंबित हैं। इसके अलावा 6,563 करोड़ रुपए के सेवाकर के 18,681 मामले भी आयुक्तों के समक्ष अटके पड़े हैं।
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया है कि 30 जून 2017 की स्थिति के अनुसार केंद्रीय उत्पाद और सेवाकर अपील आयुक्तों के समक्ष लंबित मामलों को CBEC, केंद्रीय उत्पाद एवं सेवाकर के प्रधान मुख्य आयुक्तों मुख्य आयुक्तों सहित उसी अधिकार क्षेत्र में तैनात अन्य आयुक्त रैंक के अधिकारियों के बीच बांटेगा।