नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गोल्ड से जुड़ी एक नई योजना का विचार मंगलवार को देश के सामने रखा है। सरकार ने देश के पहले गोल्ड एक्सचेंज का विचार दिया है। यह एक पारदर्शी प्लेटफॉर्म होगा, जहां आभूषण निर्माता अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर होने के बजाये स्थानीय स्तर पर ही सोने की खरीद कर सकते हैं। केंद्र ने सोने के आयात पर अंकुश लगाने के लिए नवंबर में सरकारी गोल्ड बांड तथा गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम की शुरुआत की है। इन योजनाओं का मकसद स्वर्ण एवं आभूषण की भौतिक मांग को कम करना है।
देखिए सोने और चांदी से जुड़े कुछ आंकड़े, जिन्हें जानना जरूरी है…
Gold november
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वित्त विभाग में आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि यह केवल एक विचार है-क्या हम गोल्ड एक्सचेंज के बारे में सोच सकते हैं, जहां पारदर्शी तरीके से कारोबार हो सके। एक ऐसा प्लेटफॉर्म जहां, जिनके पास अतिरिक्त सोना है, वह जरूरतमंद को बेच सके। इंडियन बुलियन एंड ज्वैलरी एसोसिएशन द्वारा आयोजित तीसरे भारत अंतरराष्ट्रीय सर्राफा शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि आभूषण निर्माताओं को सोने की अस्थायी रूप से जरूरत होती है, इसीलिए आयात के बजाये वे इसे स्थानीय रूप से खरीद सकते हैं। हाल में शुरू गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के बारे में उन्होंने कहा कि कुछ निर्णय सुनाना, अभी जल्दबाजी होगी। सरकार योजना को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। लोगों को यह समझाना आसान नहीं है कि वे अपने आभूषण दें, इससे उनकी भावनाएं जुड़ी होती हैं। दास ने कहा कि हमे इस मनोभाव को बदलने की जरूरत है और लोगों की मानसिकता को समझना होगा।
योजना को सफल बनाने के बारे में उद्योग से राय मांगते हुए उन्होंने कहा कि काफी चुनौतियां हैं और इसमें काफी आभूषण निर्माताओं को शामिल करने की जरूरत है, जो अपने परंपरागत ग्राहकों से बात कर सकते हैं और उन्हें गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम से जोड़ सकते हैं। शक्तिकांत दास ने बताया कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने संग्रह एवं शुद्धता परीक्षण केंद्र (सीपीटीसी) के रूप में काम करने के लिए लाइसेंस प्राप्त 13,000 आभूषण निर्माताओं से आवेदन आमंत्रित किए हैं।