नई दिल्ली। रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के चेयरमैन अनिल अंबानी और कंपनी के चार अन्य निदेशकों ने इस्तीफा दे दिया है। फिलहाल आरकॉम दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही है। कंपनी ने शनिवार को शेयर बाजारों को यह सूचना दी। शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कर्ज के बोझ से दबी कंपनी ने कहा कि उसके मुख्य वित्त अधिकारी मणिकंतन वी ने भी इस्तीफा दे दिया है। कंपनी ने कहा कि अंबानी के साथ ही छाया विरानी और मंजरी काकर ने 15 नवंबर को कंपनी के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं रायना करानी और सुरेश रंगाचर ने क्रमश: 14 नवंबर और 13 नवंबर को इस्तीफा दिया।
आर-कॉम को हुआ 30,142 करोड़ का घाटा
प्राइवेट सेक्टर इन दिनों मंदी की जबरदस्त मार झेल रहा है। कई मल्टीनेशनल कंपनियों पर आर्थिक मंदी का असर साफ दिखाई दे रहा है। इसी कड़ी में देश की अग्रणी कंपनियों में शामिल रिलायंस कम्युनिकेशंस (आर-कॉम) भी इससे अछूती नहीं है। रिलायंस कम्युनिकेशंस फिलहाल दिवाला प्रक्रिया में है। गौरतलब है कि वर्तमान में दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही आर-कॉम ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वैधानिक बकाया पर फैसला सुनाए जाने के बाद देनदारियों के लिए प्रावधान के कारण जुलाई-सितंबर 2019 के लिए 30,142 करोड़ रुपए का समेकित नुकसान दर्ज किया है। यह आज तक किसी भारतीय कंपनी को हुआ दूसरा सबसे बड़ा घाटा है। एडजस्टेड ग्रास रेवेन्यू (एजीआर) मामले में बकाया भुगतान के लिए प्रोविजनिंग करने की वजह से आर-कॉम को इतना नुकसान हुआ है।
अंबानी कभी दुनिया के शीर्ष दस सबसे अमीरों में थे। पर आज उनकी कंपनी को बकाये को चुकाने के लिए अपनी संपत्तियों की बिक्री करनी पड़ रही है। कंपनी को एक साल पहले इसी तिमाही में 1,141 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था। आरकॉम की कुल देनदारियों में 23,327 करोड़ रुपए का लाइसेंस शुल्क और 4,987 करोड़ रुपए का स्पेक्ट्रम प्रयोग शुल्क शामिल है।
शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कंपनी ने कहा कि मणिकंतन वी के इस्तीफे तथा डी विश्वनाथ की कार्यकारी निदेशक और मुख्य वित्त अधिकारी के पद पर नियुक्ति को ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) के समक्ष मंजूरी के लिए रखा जाएगा। सीओसी की मंजूरी के बाद शेयर बाजारों को और खुलासा किया जाएगा। बड़े भाई मुकेश अंबानी के साथ संपत्ति के बंटवारे के बाद 2005 में आरकॉम अनिल अंबानी के हिस्से आई थी। स्वीडन की दूरसंचार उपकरण कंपनी एरिक्सन के आवेदन के बाद कंपनी फिलहाल दिवाला प्रक्रिया में है। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण ने कंपनी का नियंत्रण दिवाला समाधान पेशेवर को सौंप दिया है।
सूत्रों का अनुमान है कि आरकॉम समूह का कुल संरक्षित कर्ज करीब 33,000 करोड़ रुपए है। ऋणदाताओं ने आरकॉम से 49,000 करोड़ रुपए का दावा किया है। आरकॉम ने अपनी संपत्तियों को बिक्री के लिए रखा है। इसमें 122 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम भी है जिसका मूल्य दिवाला प्रक्रिया शुरू होने से पहले करीब 14,000 करोड़ रुपए था। इसी तरह कंपनी के टावर कारोबार का मूल्य करीब 7,000 करोड़ रुपए, आप्टिकल फाइबर नेटवर्क का 3,000 करोड़ और डेटा केंद्रों का मूल्य करीब 4,000 करोड़ रुपए है। आरकॉम की संपत्तियों की बिक्री का काम देख रही ऋणदाताओं की समिति इनके लिए बोलियां 24 नवंबर को खोलेगी।
टेलीकॉम सेक्टर का दूसरी तिमाही में घाटा बढ़कर 1,04,108 करोड़ रुपए के पार पहुंचा
शुक्रवार को जारी तिमाही नतीजों के अनुसार आर-कॉम को 30 हजार करोड़ से अधिक का घाटा हुआ है। यह कॉर्पोरेट इतिहास में वोडाफोन-आइडिया के बाद दूसरा सबसे बड़ा घाटा है। वोडाफोन, आइडिया व एयरटेल द्वारा दूसरी तिमाही में लगभग 74 हजार करोड़ रुपए घाटा दिखाए जाने के बाद छोटे अंबानी (अनिल अंबानी) के स्वामित्व वाली आरकॉम बड़े संकट में फंस गई है। कर्ज के बोझ से दबी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) को वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही में करीब 30,142 करोड़ रुपए का एकीकृत घाटा हुआ है। अब आर कॉम के इस घाटे को मिलाकर टेलीकॉम सेक्टर का दूसरी तिमाही में घाटा बढ़कर 1,04,108 करोड़ रुपए को पार गया है।
कंपनी की परिचालन आय घटकर रह गई 302 करोड़ रुपए
आरकॉम की कुल देनदारियों में 23,327 करोड़ रुपए का लाइसेंस शुल्क और 4,987 करोड़ रुपए का स्पेक्ट्रम इस्तेमाल शुल्क शामिल है। आरकॉम और उसकी अनुषंगियों ने 1,210 करोड़ रुपए के ब्याज और 458 करोड़ रुपए के विदेशी विनिमय उतार-चढ़ाव के लिए प्रावधान नहीं किया है। आरकॉम ने कहा कि यदि इसके लिए प्रावधान किया जाता तो उसका नुकसान 1,668 करोड़ रुपए और बढ़ जाता। तिमाही के दौरान कंपनी की परिचालन आय घटकर 302 करोड़ रुपए रह गई जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 977 करोड़ रुपए थी।