नई दिल्ली। बिजनेस टायकून अनिल अंबानी सुबह अपना बिस्तर उस समय छोड़ देते हैं, जब लोग सपनों की दुनिया में खोये रहते हैं। सूरज दिखाई भी नहीं पड़ता, उस वक्त अनिल अंबानी जॉगिंग शू पहन कर या तो मुंबई की सड़कों को नाप रहे होते हैं या फिर अपने घर में रखी ट्रेडमील पर पसीना बहा रहे होते हैं। इस साल जनवरी में जब हफिंग्टन पोस्ट के एक रिपोटर ने उनसे एक मैराथन में दौड़ते हुए सवाल पूछा कि वो मैराथन रनर क्यों कहलाना पसंद करते हो तो उन्होंने इसके पीछे के राज को खोला। आपको बता दें कि 4 जून 1959 को अनिल अंबानी का जन्म हुआ था। इसीलिए अनिल अंबानी के जन्मदिन पर हम आपकों उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें बता रहे हैं।
हफिंग्टन पोस्ट में छपी खबर के मुताबिक अनिल अंबानी के लिए दौड़ना आध्यात्मिक साधना की तरह है। लोग भले ही उन्हें बिजनेस टायकून के रूप में पहचानते हैं, लेकिन वे खुद एक मैराथन रनर कहलाना पसंद करते हैं। खुद को चुस्त और फिट रखने के लिए अनिल अंबानी हर दिन 15 किलोमीटर से ज्यादा की दौड़ लगाते हैं।
सुबह 4 बजे उठते हैं अनिल
अनिल अंबानी कहते हैं, मैं कितना भी व्यस्त रहूं, लेकिन सुबह 3:30 से 4 बजे के बीच मेरी आंख अपने आप खुल जाती है। जागने के लिए मैंने कभी अलार्म का सहारा नहीं लिया। रनिंग उनके जीवन में सिर्फ एक्सरसाइज ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक साधना की तरह है। आध्यात्मिक साधना यानि की खुद की खुद से मुलाकात। रनिंग से इस तरह की मोहब्बत को अनिल ने अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है। इसके बिना वो खुद को अधूरा मानते हैं।
अनिल अंबानी ने खोला बड़ा राज!
हफिंग्टन पोस्ट के रिपोटर ने अनिल अंबानी से मजाकिया अंदाज में कहा कि आप इस प्राइज मनी के लिए तो मैराथन में नहीं दौड़ रहे हैं। तो फिर क्यों दौड़ते हैं अक्सर मैराथन? इस पर अनिल अंबानी ने मुस्कराते हुए कहा मुझे रेस कंपलीट करने का शौक है। इस पर रिपोटर ने फिर से सवाल पूछा तब अनिल बोले कि आप क्यों दौड़ रहे हैं। रिपोटर ने कहा-मुझे आपका इंटरव्यू चाहिए। इस पर झट से अनिल अंबानी बोले कि रेस के बाद आप मेरी कार में बैठकर मुझसे सवाल पूछ सकते हैं। इसके बाद रिपोटर एक सवाल के जवाब में अनिल अंबानी ने कहा कि भागते वक्त मेरे दिमाग में बहुत कुछ चल रहा होता है और कई बिजनेस के जबरदस्त हिट आइडिया भी भागते हुए ही आए हैं।
एक जोड़ी शू खरीदो और देखोे फिर आप क्या कर सकते हो
अनिल अंबानी ने बताया कि दौड़ने से हर तरह के स्ट्रैस को दूर किया जा सकता है। उन्हें किसी और चीज का नहीं, बल्कि रनिंग का नशा है। रनिंग उनके लिए सभी निराशाओं को दूर करने का माध्यम है। दौड़ना न तो उनका पेशा है और न ही वे कोई एथलीट हैं, लेकिन फिर भी वे खुद को फिट रखते हैं और पेशेवर खिलाड़ियों के साथ दौड़ते हैं। अनिल लोगों तक ये संदेश पहुंचाना चाहते हैं कि एक जोड़ी शू खरीदें और खुद को समय दें। फिर देखें आप क्या कर सकते हैं।
कभी 100 किलो से ज्यादा था उनका वजन
एक समय था जब अनिल अंबानी का वजन 100 किलो से भी ज्यादा था। जिस तरह वे आज दौड़ते हैं अपने शरीर को फिट रखने के लिए उस तरह दौड़ना तो दूर वे सौ किलो से ज्यादा वजन में ठीक तरह से चल भी नहीं पाते थे। रनिंग से अपने शरीर का एक तिहाई वजन घटा कर उन्होंने दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया है, कि यदि दृढ़निश्चय और इच्छा शक्ति आपके पास है तो आप कुछ भी कर सकते हैं, फिर बात चाहे दुनिया में अपने काम को लेकर धमाल मचाने की हो या फिर अपने लुक्स से लाखों को दिवाना करने की।
कभी पिता ने दी थी ये सलाह
खुद को फिट रखने के लिए अनिल अंबानी हफ्ते में 6 दिन रनिंग करते हैं, पांच दिन घर में ट्रेडमिल पर दौड़ते हैं और एक दिन बाहर। वे कहीं भी चले जाएं, लेकिन अपने रुटीन में किसी भी तरह का कोई परिवर्तन नहीं करते। रनिंग तो उन्होंने अपने कुछ स्वास्थ्य कारणों से शुरू की थी, लेकिन अब रनिंग उनकी जिदंगी का हिस्सा बन गई है। अपने फिटनेस रुटीन की सबसे बड़ी प्रेरणा वे अपने पिता धीरूभाई अंबानी को मानते हैं। अनिल के अनुसार, ‘मेरे पिता हमेशा कहते थे कि तुम पैसों से अच्छे कपड़े, अच्छा खाना तो खरीद सकते हो लेकिन अच्छी सेहत नहीं।’ पिता की कही इन बातों का अनिल के व्यक्तित्व पर खासा प्रभाव पड़ा है और इसी के चलते वे अपने स्वास्थ्य को लेकर इतने जागरुक रहते हैं।