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अनिल अग्रवाल वेदांता को बनाना चाहते हैं GE जैसा संस्‍थान

अनिल अग्रवाल अपने औद्योगिकी समूह वेदांता रिसोर्सेज को जनरल इलेक्ट्रिक जैसे संस्थान में बदलना चाहते हैं, जहां कंपनी को श्रेष्ठ पेशेवर चलाएं।

Abhishek Shrivastava
Published on: April 06, 2016 19:35 IST
अनिल अग्रवाल वेदांता को बनाना चाहते हैं GE जैसा संस्‍थान, जिसे चलाएंगे दुनिया के श्रेष्‍ठ पेशेवर- India TV Paisa
अनिल अग्रवाल वेदांता को बनाना चाहते हैं GE जैसा संस्‍थान, जिसे चलाएंगे दुनिया के श्रेष्‍ठ पेशेवर

लंदन। पटना में जन्मे प्रमुख खनन उद्योगपति अनिल अग्रवाल अपने औद्योगिकी समूह वेदांता रिसोर्सेज पीएलसी को जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) जैसे संस्थान में बदलना चाहते हैं, जहां निदेशक मंडल से चलने वाली कंपनी को श्रेष्ठ पेशेवर चलाएं। अग्रवाल की यह सोच इसलिए है क्योंकि उन्हें नहीं लगता कि उनके बच्चे उनसे यह दायित्व संभालेंगे।

जिंस कीमतों में नरमी से अपनी निवल संपत्ति में लाखों डॉलर की कमी से अविचलित अग्रवाल (63 वर्ष) अब धातु से लेकर तेल व गैस तक विभिन्न क्षेत्रों में नया निवेश करने की योजना बना रहे हैं। एक साक्षात्कार में अग्रवाल ने कहा कि 2016 में सुदृढ़ीकरण के बाद जिंस बाजारों में अगले साल सुधार होगा। उन्होंने कहा, मेरे बच्चे नहीं आएंगे और मुझसे कार्यभार नहीं लेंगे। वे अपना ही काम कर रहे हैं।

अग्रवाल ने कहा कि वेदांता जीई जैसा ही एक संस्थान होगा। मूल रूप से इसे आक्रामक, कम लागत वाला व नवोन्मेषी होना होगा। इसे श्रेष्ठ लोगों को आकर्षित करने वाला बनना होगा। उल्लेखनीय है कि जीई एक निदेशक मंडल से चलने वाली कंपनी है, जो कि अपने संचालन के लिए श्रेष्ठ पेशेवरों को नियुक्त करती है। अग्रवाल के दो बच्चे हैं। उनका बेटा दुबई में रहता है, जिसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। वहीं बेटी प्रिया केयर्न इंडिया सहित कुछ कंपनियों में निदेशक है। फोर्ब्‍स पत्रिका ने उनकी संपत्ति 1.5 अरब डॉलर आंकी है।

अग्रवाल ने सितंबर 2014 में घोषणा की थी कि वह तथा उनका परिवार अपनी संपत्ति का 75 फीसदी हिस्सा चैरीटेबल ट्रस्ट में रखेगा। इसके साथ ही अग्रवाल ने जिंस कीमतों में नरमी से वेदांता की बैलेंस शीट पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंकाओ को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा, हमारे पास अपने कर्ज को चुकाने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं। हम नकदी सृजन से मिले कोष का इस्तेमाल करते हुए हर साल अपने कर्ज को घटाते रहेंगे। उनकी कंपनियां भारत में जस्ते, तांबे व एल्युमिनियम की सबसे बड़ी उत्पादक हैं और वैश्विक स्तर पर जिंस कीमतों में नरमी से प्रभावित हुई हैं। अग्रवाल ने कहा कि समूह ने अपनी लागत में कमी की है तथा नौकरियों में कोई बड़ी कटौती किए बिना कुल खर्च में 25-30 फीसदी कमी की है। उन्होंने कहा, मैं छंटनियों में विश्वास नहीं रखने वाला व्यक्ति हूं। अग्रवाल ने सुझाव दिया कि सरकार को तेल से लेकर यूरेनियम, सोने, जस्ते व पोटाश तक-भूमिगत संपदा के खनन की अनुमति देनी चाहिए।

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