नई दिल्ली। खनन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेदांता रिसोर्सेज के मुखिया अनिल अग्रवाल ने सोमवार को कहा कि उनकी बंद पड़ी एयरलाइन जेट एयरवेज को खरीदने में अब कोई दिलचस्पी नहीं है। कर्ज में डूबी जेट एयरवेज का मामला दिवाला संहिता के तहत एनसीएलटी (राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण) के समक्ष विचाराधीन है और अग्रवाल की निवेश कंपनी वोल्कन इन्वेस्टमेंट ने जेट एयरवेज को खरीदने के लिए रविवार को रुचि पत्र (ईओआई) जमा किया था।
कल इस बंद पड़ी एयरलाइन के लिए बोली लगाने का आखिरी दिन था। हालांकि, अग्रवाल ने सोमवार को बयान में कहा कि जेट एयरवेज के लिए वोल्कन ने जो रुचि पत्र जमा किया था वह शुरुआती खोजबीन के आधार पर था। आगे की जांच-पड़ताल और अन्य प्राथमिकताओं पर विचार करने के बाद हमने इस दिशा में कदम नहीं बढ़ाने का फैसला किया है।
बयान में कहा गया है कि वोल्कन ने जेट एयरवेज के लिए ईओआई इसलिए जमा किया था क्योंकि वह कंपनी और उद्योग के लिए कारोबारी परिदृश्य को समझना चाहती थी। इस कदम के बाद अब एयरलाइन की संपत्तियों को खरीदने की दौड़ में सिर्फ दो कंपनियां रह गई हैं। वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज ने अप्रैल में परिचालन बंद कर दिया था।
एतिहाद ने कहा, जेट में फिर से निवेश व्यावसायिक दृष्टि से व्यवहारिक नहीं
खाड़ी देश की प्रमुख एयरलाइन एतिहाद ने सोमवार को कहा कि देनदारी से जुड़े मुद्दों के अब तक नहीं सुलझ पाने के कारण उसने जेट एयरवेज में फिर से निवेश नहीं करने का फैसला किया है। बंद हो चुकी जेट एयरवेज में एतिहाद की 24 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
कंपनी की उड़ान सेवाएं 17 अप्रैल से पूरी तरह निलंबित हैं। कम-से-कम तीन कंपनियों ने जेट एयरवेज के लिए शुरुआती बोली लगाई है। एतिहाद ने बयान जारी कर कहा कि एयरलाइन से जुड़ी देनदारियों के मुद्दों के अब तक नहीं सुलझ पाने के कारण उसने जेट एयरवेज में फिर से निवेश को अभिरुचि पत्र प्रस्तुत नहीं किया है। अभिरुचि पत्र प्रस्तुत करने की आखिरी तारीख 10 अगस्त थी।