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कच्‍चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट से सिर्फ फायदा नहीं नुकसान भी, आर्थिक मंदी की चपेट में केरल

केरल की शुद्ध जीडीपी में रेमीटैंस (विदेशी धन) की हिस्‍सेदारी 36 फीसदी है और अब इसमें लगातार गिरावट आ रही है। इसकी वजह से मंदी के मुहाने पर पहुंच सकता है।

Dharmender Chaudhary
Published on: August 15, 2016 9:56 IST
Trouble in Paradise: कच्‍चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट से सिर्फ फायदा नहीं नुकसान भी, आर्थिक मंदी की चपेट में केरल- India TV Paisa
Trouble in Paradise: कच्‍चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट से सिर्फ फायदा नहीं नुकसान भी, आर्थिक मंदी की चपेट में केरल

नई दिल्‍ली। वैश्विक स्‍तर पर कच्‍चे तेल की कीमतों में गिरावट से जहां एक ओर भारत को अपना आयात बिल कम और चालू खाता घाटा को नियंत्रित करने में मदद मिल रही है, वहीं दूसरी ओर एक राज्‍य ऐसा है जो इसकी वजह से मंदी के मुहाने पर पहुंच सकता है। दक्षिण भारत के राज्‍य केरल ने तेल समृद्ध अरब देशों से बड़ी मात्रा में विदेशी धन अर्जित कर मानव विकास का एक नया रिकॉर्ड बनाया है। केरल की शुद्ध जीडीपी में रेमीटैंस (विदेशी धन) की हिस्‍सेदारी 36 फीसदी है और अब इसमें लगातार गिरावट आ रही है।

केरल के वित्‍त मंत्री थॉमस ईसाक ने एक अखबार को दिए इंटरव्‍यू में कहा है कि यदि आप पिछले कुछ सालों में रेमीटैंस ग्रोथ पर नजर डालते हैं तो आप पाएंगे कि इसमें गिरावट आई है। हालांकि यह अभी भी पॉजिटिव बनी हुई है, लेकिन इसमें तेजी से कमी आ रही है। इस साल, रेमीटैंस का प्रवाह निगेटिव जोन में जा सकता है। ईसाक ने चेतावनी देते हुए कहा कि 3.3 करोड़ लोग बहुत ही गंभीर क्षेत्रीय मंदी का शिकार हो सकते हैं।

केरल के लिए रेमीटैंस है महत्‍वपूर्ण

पिछले 50 सालों से लाखों लोग रोजगार की तलाश में केरल से खाड़ी देशों में जा रहे हैं। वर्तमान में केरल के 24 लाख लोग देश से बाहर काम कर रहे हैं, इसमें से 90 फीसदी लोग खाड़ी देशों में कार्यरत हैं। लेकिन तेल की कीमतों में भारी गिरावट के कारण खाड़ी देशों में न केवल कंपनियों ने भारी मात्रा में कर्मचारियों की छंटनी की है बल्कि वहां की सरकारें भी अपने-अपने खर्च में कटौती कर रही हैं। तेल की कीमतों में गिरावट से जहां एक ओर भारत को अपना इंपोर्ट बिल कम करने में मदद मिल रही है, वहीं इसकी तुलना में भारतीय प्रवासियों और रेमीटैंस पर विपरीत असर बहुत ज्‍यादा पड़ रहा है।

तकरीबन 50 लाख भारतीय कामगार, अधिकांश ब्‍लू कॉलर जॉब वाले, जोखिम में हैं। साऊदी अरेबिया में वेतन और भोजन संकट में फंसे ऐसे 10,000 लोगों को देश वापस लाया गया है। यह ट्रेंड केरल की अर्थव्‍यवस्‍था को भारी चोट पहुंचा सकता है। इस तटीय राज्‍य पर तकरीबन 1.35 लाख करोड़ रुपए (20 अरब डॉलर) का कर्ज है और अभी तक कर्ज चुकाने में रेमीटैंस से मदद मिलती रही है। सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्‍टडीज (सीडीएस) के मुताबिक 2014 में केरल में विदेशों से 71,000 करोड़ रुपए आए हैं, जो कि भारत में हुए कुल विदेशी मुद्रा प्रवाह का 15 फीसदी है। राज्‍य के विकास में रेमीटैंस की प्रमुख भूमिका है। सीडीएस के मुताबिक रेमीटैंस की प्रवाह में कमी की वजह से राज्‍य की प्रति व्‍यक्ति आय घटकर 63,491 रुपए रह गई है, जो 2014 में 86,180 रुपए थी।

सरकार ने इस धन का उपयोग भी बहुत अच्‍छी तरह से किया है। यहां बेहतर हेल्‍थकेयर और एजुकेशन इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर तैयार किया गया है। वास्‍तव में, सभी भारतीय राज्‍यों की तुलना में केरल का मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) सबसे ज्‍यादा है। यह सूचकांक शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और आय असमानता जैसे मानकों पर आधारित होता है।

केरल को कुछ समय तक करनी होगी खुद कोशिश

सीडीएस के प्रोफेसर एस इरुदाया राजन कहते हैं कि अरब देश में रहने वाला एक व्‍यक्ति अपने घर के चार लोगों को पालन-पोषण करता है। यदि यहां रेमीटैंस नहीं आएगा तो गरीबी बढ़ सकती है और इसका असर अर्थव्‍यवस्‍था पर पड़ेगा। उन्‍होंने कहा कि चूंकि सभी अरब देश एक जैसी आर्थिक समस्‍या का सामना कर रहे हैं तो ऐसे में देश वापस लौटने के अलावा कोई विकल्‍प नहीं है। राजन ने कहा कि इस संकट का केरल पर पड़ने वाले असर का अध्‍ययन करने की आवश्‍यकता है।

वहीं दूसरी ओर वित्‍त मंत्री ईसाक ने अपने इंटरव्‍यू में कहा कि रेमीटैंस में गिरावट का असर दिखाई पड़ने लगा है। उदाहरण के तौर पर, राज्‍य में रियल एस्‍टेट की कीमतें घट रही हैं, इससे निवेशकों के बीच चिंता बढ़ गई है। जब तक तेल की कीमतों में सुधार नहीं आता है, केरल को खुद कोशिश करनी होगी।

Source: Quartz

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