नई दिल्ली। डेयरी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी जीसीएमएमएफ, जो अमूल ब्रांड के तहत उत्पाद बेचती है, अगले चार चाल में अपनी दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाकर 3.8 करोड़ लीटर से अधिक करने के लिए करीब 2,500 करोड़ रुपए के निवेश की योजना बना रही है। गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी ने कहा, देश भर में दूध की मांग बढ़ी है, इसलिए हम अपनी दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता और एक करोड़ लीटर प्रतिदिन बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, जो फिलहाल 2.81 करोड़ लीटर प्रतिदिन है।
सोढ़ी ने कहा कि सहकारी संस्था 2020 तक अपनी क्षमता बढ़ाने पर विचार कर रही है, जिसके लिए करीब 2,500 करोड़ रुपए के निवेश की जरूरत होगी। उन्होंने कहा, फिलहाल हम कोलकाता तथा मुंबई में दुग्ध प्रसंस्करण के लिए एक-एक संयंत्र और गुजरात में दो और संयंत्र स्थापित करने पर विचार कर रहे हैं। इसके अलावा हमने कुछ मौजूदा संयंत्रों में क्षमता बढ़ाने की योजना बनाई है। जीसीएमएमएफ में करीब 60 विभिन्न प्रसंस्करण संयंत्र है, जिनमें से गुजरात में ही 40 हैं।
अमूल के कारोबार का 50 फीसदी हिस्सा सिर्फ दूध की बिक्री से आता है। जिंस कारोबार का योगदान 5-7 फीसदी है और शेष वैल्यू एडेड उत्पाद खंड से आता है। उन्होंने कहा कि दूध के अलावा संस्था चीज जैसे वैल्यू एडेड उत्पादों पर ध्यान दे रही है और उसने पिछले छह महीने में अपनी चीज उत्पादन क्षमता 40 टन से तीन गुना कर 120 टन प्रतिदिन कर दी है, क्योंकि वह बढ़ती मांग को पूरा करने में असमर्थ थी। सोढ़ी ने कहा कि पिछले छह साल में डेयरी कंपनी का कारोबार करीब तीन गुना बढ़कर 23,000 करोड़ रुपए हो गया और 2020 तक इसे दोगुना से अधिक कर 50,000 करोड़ रुपए करने का लक्ष्य रखा है। जीसीएमएमएफ के 17 सदस्य संघ हैं, जो गुजरात के 18,600 गांवों के 36 लाख किसानों से जुड़े हैं।