नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को देश की पहली स्मार्ट सिटी कैपिटल की नींव रखी है। अमरावती, आंध्र प्रदेश की नई राजधानी और देश की पहली स्मार्ट सिटी बन गई है। 1800 साल बाद अमरावती को फिर से राजधानी का दर्जा मिला है। इससे पहले सातवाहन राजाओं की राजधानी हुआ करती थी। 32,000 एकड़ में अमरावती का विकास होगा। जानिए सिंगापुर मॉडल की तर्ज पर बनने वाले इस शहर में वो क्या बातें होंगी जो इसे देश के बाकी राजधानियों से अलग करती हैं?
50 हजार एकड़ में बनेगी नई सिटी
एन चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने अमरावती को फिर से खड़ा करने के लिए 32,000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है। सरकार के पास अब 50,000 एकड़ जमीन है। कृष्णा नदी के किनारे विजयवाड़ा-गुंटूर रीजन में नई राजधानी के लिए खेती की जमीन भी ली गई है।
अमरावती, विजयवाड़ा और गुंटुर जैसे शहरों के बीच में आता है। ये शहर नई राजधानी के डेवलपमेंट में कैटेलिस्ट की भूमिका निभा सकते हैं। अमरावती से सटे चार नेशनल हाईवे, एक नेशनल वाटर हाईवे, रेलवे का ग्रैंड ट्रंक रूट, तेजी से बन रहा एयरपोर्ट और एक सीपोर्ट है। यह शहर को फायदा पहुंचाएगा।
50 लाख रोजगार होंगे पैदा
नई राजधानी का विकास उद्योग और कारोबार के बड़े केंद्र के रूप में भी किया जाएगा। कुल 7420 वर्ग किलोमीटर में फैले राजधानी क्षेत्र का मुख्य शहर 217 वर्ग किलोमीटर में होगा। राज्य सरकार का लक्ष्य 2050 तक यहां 50 लाख रोजगार पैदा करना है। 450 साल पहले तक अमरावती का इलाका आंध्र प्रदेश के तेलंगाना, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक तक फैला हुआ था। नए डिजाइन के तहत इस शहर को ईस्ट कोस्ट पर ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ के रूप में स्थापित किया जाएगा।
2024 तक बनकर तैयार होगी नई राजधानी
चंद्रबाबू नायडू सरकार ने राज्य की नई राजधानी को विश्वस्तरीय बनाने के लिए दूसरे देशों से सहयोग मांगा है, जिसमे जापान, चीन, सिंगापुर और मलेशिया शामिल हैं। सरकार की कोशिश है इस राज्य की नई राजधानी मे विदेशी कंपनियां आकर उद्योग को बढ़ावा दें। वहीं, सिंगापुर की सरकारी एजेंसियों ने इस पूरे कार्यक्रम का मास्टर प्लान तैयार करने में मदद की है। सरकार के मुताबिक राज्य की नई राजधानी 2024 तक तैयार हो जाएगी।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि वह इसे 21वीं सदी के सिंगापुर के रूप में राजधानी के तौर पर गढ़ें, जो इस इलाके के विकास और तरक्की को रफ्तार देने में हैदराबाद व बेंगलुरू जैसे शहरों को भी पीछे छोड़ दे।
लैंड पूलिंग के जरिये बसने वाली पहली राजधानी
भारत में यह पहला मौका है जब कोई राजधानी इस तरह लैंड-पूलिंग योजना के तहत बसाई जा रही है। इस योजना के मुताबिक जमीन के मालिकों को जमीन के विकास और उसकी कीमत बढ़ जाने के बाद उसमें हिस्सा मिलेगा। उन्होंने अपनी जो कृषि योग्य जमीन दी थी उसका लगभग 30 फीसद हिस्सा उन्हें शहर की महंगी जमीन के तौर पर वापस मिल सकेगा।
नए शहर को लेकर विवाद
इस भव्य योजना को कई विवादों का भी सामना करना पड़ा है। इनमें से सबसे बड़ा विवाद जमीन अधिग्रहण से जुड़ा है। अमरावती देश के कुछ सबसे उपजाऊ इलाकों में से एक है, जहां महज 10 से 15 फीट नीचे ही भू-जल उपलब्ध है। जाहिर है, यह बहुफसली जमीन है। पूर्व केंद्रीय शहरी विकास सचिव केसी शिवरामकृष्णन ने इतनी उर्वर भूमि पर नई राजधानी बनाने के खिलाफ सरकार को आगाह किया था।