नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी को लेकर पैदा हुई अनिश्चितता के बीच भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा आगामी मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रखे जाने की उम्मीद है। विशेषज्ञों ने ये अनुमान दिया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक के बाद केंद्रीय बैंक सात अप्रैल को 2021-22 के वित्त वर्ष के लिए पहली मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करेगा। इससे पहले पांच फरवरी को पिछली मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रिजर्व बैंक ने रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया था। विशेषज्ञों का मानना है कि रिजर्व बैंक अपने नरम रुख को जारी रखेगा और किसी मौद्रिक कार्रवाई के लिए उचित अवसर का इंतजार करेगा, जिससे मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के मुख्य लक्ष्य के साथ वृद्धि को प्रोत्साहन के उपाय भी किए जा सकें।
डन एंड ब्रैडस्ट्रीट की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 संक्रमण के मामले बढ़ने से कई राज्यों ने नए अंकुश लगाए हैं जिससे औद्योगिक उत्पादन में रिकवरी को लेकर आशंका पैदा हो गई है। डन एंड ब्रैडस्ट्रीट के वैश्विक मुख्य अर्थशास्त्री अरुण सिंह ने कहा कि लंबी अवधि की यील्ड बढ़ रही है जिससे कर्ज की लागत बढ़ी है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में रिजर्व बैंक के समक्ष मुद्रास्फीति दबाव का प्रबंधन करने के साथ कर्ज की लागत में बढ़ोतरी को रोकने की मुश्किल चुनौती है।
एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि उपभोक्ता मुद्रास्फीति अभी स्थिर नहीं हो पाई है। फरवरी, 2020 से रेपो दर में भी 1.15 प्रतिशत की उल्लेखनीय कटौती की गई है। ऐसे में रिजर्व बैंक संभवत: नीतिगत दरों को यथावत रखेगा। पुरी ने कहा कि केंद्रीय बैंक की निगाह मुद्रास्फीति और आर्थिक पुनरुद्धार पर रहेगी। उन्होंने कहा कि भारत में महामारी का दूसरा दौर शुरू हो गया है। कई राज्यों और शहरों में आंशिक लॉकडाउन लगाया गया है। ऐसे में इस बात की संभावना अधिक बनती है कि रिजर्व बैंक यथास्थिति कायम रखेगा।
यूबीएस सिक्योरिटीज इंडिया की अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन ने उम्मीद जताई कि रिजर्व बैंक निकट भविष्य के लिए लिक्विडिटी को संतोषजनक स्तर पर रखेगा, जिससे सरकार के उधारी कार्यक्रम में किसी तरह की अड़चन नहीं आए। साथ ही केंद्रीय बैंक कोविड-19 के मामले बढ़ने के बीच आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने का प्रयास करेगा। इस बीच, आनंद राठी की रिपोर्ट में कहा गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति का नरम रुख हाल के समय में पलटा है, जिससे रिजर्व बैंक पर दबाव बढ़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य मुद्रास्फीति बढ़ने से रिजर्व बैंक के लिए मुश्किल होगी। इसके बावजूद वृद्धि की चिंता के बीच केंद्रीय बैंक नरम मौद्रिक रुख को जारी रखेगा।
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