नई दिल्ली। सरकार ने ई-कॉमर्स क्षेत्र की प्रमुख कंपनी अमेजन द्वारा अपने प्लेटफॉर्म पर बिकने वाले उत्पादों के बारे में अनिवार्य सूचना उपलब्ध नहीं कराने के लिए जुर्माना लगाया है। एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, कंपनी पर यह जुर्माना उत्पाद के मूल देश तथा अन्य सूचनाएं प्रदर्शित नहीं करने के लिए लगाया गया है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इस तरह की सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराने पर पिछले महीने फ्लिपकार्ट और अमेजन को नोटिस जारी किया था।
मंत्रालय ने बेंगलुरु की कंपनी अमेजन सेलर सर्विसेज और उसके सभी निदेशकों पर विधिक माप विज्ञान कानून, 2009 तथा विधिक माप विज्ञान (पैकेटबंद सामान) नियम, 2011 के तहत 25,000-25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फ्लिपकार्ट के मामले में जांच के बाद किसी तरह का उल्लंघन नहीं मिला है, इसलिए उसपर जुर्माना नहीं लगाया गया है।
मंत्रालय में उपनिदेशक आशुतोष अग्रवाल द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि अमेजन सेलर सर्विसेज ने स्वीकार किया है कि उसके मंच पर विक्रेताओं द्वारा उत्पादों के बारे में संबंधित सूचनाएं प्रदर्शित नहीं की गईं। मंत्रालय ने राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सभी ई-कॉमर्स कंपनियां विधिक माप विज्ञान (पैकेटंबद सामान) नियमों का अनुपालन करें। मंत्रालय के 19 नवंबर के आदेश में कहा गया है कि अमेजन का जवाब संतोषजनक नहीं था, जिसके बाद उसपर जुर्माना लगाया गया है। इस बारे में अमेजन को भेजे गए ई-मेल का जवाब नहीं मिला।
सिंगापुर की आर्बिट्रेशन कोर्ट ने खारिज की फ्यूचर रिटेल की याचिका
अमेजन-फ्यूचर के बीच चल रही कानूनी जंग में फ्यूचर रिटेल लिमिटेड द्वारा अपने आप को पार्टी न बनाए जाने के लिए दायर की गई याचिका खारिज हो गई है। सिंगापुर इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर ने फ्चूयर रिटेल लिमिटेड को एक पक्ष न मानने से इनकार कर दिया। अक्टूबर में आर्बिट्रेशन ने फ्यूचर रिटेल लिमिटेड को अपनी संपत्ति किसी तीसरे पक्ष को बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया था।