नई दिल्ली। बहुचर्चित मुंबई के पीएमसी बैंक घोटाले के बाद सहकारी बैंकों की गिरती साख को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने बुधवार को एक बड़ा फैसला किया है। केंद्रीय मंत्रीमंडल ने सभी शहरी सहकारी बैंक और बहु-राज्यीय सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक की निगरानी में लाने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है। इस कदम का मकसद देश में पीएमसी बैंक जैसे घोटाले रोकना और सहकारी बैंकों के ग्राहकों के बीच भरोसे को बढ़ाना है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस संबंध में राष्ट्रपति एक अध्यादेश जारी करेंगे। जावड़ेकर ने सरकार के इस फैसले को एतिहासिक बताते हुए कहा कि देश के 1,540 शहरी सहकारी बैंक और बहु-राज्यीय सहकारी बैंक अब रिजर्व बैंक की निरीक्षण प्रक्रिया के तहत आ जाएंगे। यह प्रक्रिया अब तक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के मामले में ही अपनाई जाती रही है।
देश में 1482 शहरी सहकारी बैंक
जावड़ेकर ने कहा कि इस फैसले से सहकारी बैंकों के जमाकर्ताओं को भरोसा होग कि उनका पैसा सुरक्षित है। देश में कुल मिलाकर 1,482 शहरी सहकारी बैंक और 58 के करीब बहु-राज्यीय सहकारी बैंक है, जिनसे 8.6 करोड़ ग्राहक जुड़े हुए हैं। इन बैंकों में करीब 4.85 लाख करोड़ रुपए की पूंजी जमा है। सरकार का यह कदम इस लिहाज से काफी अहम है कि पिछले कुछ समय में कई सहकारी बैंकों में घोटाले सामने आए हैं और इससे बैंक के जमाकर्ताओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है।
पीएमसी ने घटाई साख
पंजाब एण्ड महाराष्ट्र सहकारी बैंक (पीएमसी बैंक) घोटोले का मामला हाल में काफी चर्चा में रहा। घोटाला सामने आने के बाद बैंक के कामकाज पर रोक लग जाने से ग्राहकों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। पीएमसी बैंक में वित्तीय अनियमितताएं सामने आने के बाद रिजर्व बेंक ने 23 सितंबर 2019 को बैंक पर नियामकीय अंकुश लगा दिए थे। रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में भी पीपुल्स सहकारी बैंक, कानपुर पर भी निकासी से जुड़े प्रतिबंध लगा दिए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 3 मार्च 2020 को लोकसभा में बैंकिंग नियमन (संशोधन) विध्शेयक 2020 पेश किया था। यह अभी लंबित है। इस संशोधन विधेयक के जरिये रिजर्व बैंक कि बैंकिंग नियमक दिशा-निर्देशों को सहकारी बैंकों पर भी लागू किया जाएगा। सीतारमण ने एक फरवरी 2020 को पेश बजट भाषण में भी इसका जिक्र किया था।