नई दिल्ली। देश में वस्तु एवं सेवाकर के समूचे नेटवर्क का रखरखाव करने वाली कंपनी GSTN (जीएसटी नेटवर्क) ने उद्योग जगत को आश्वस्त किया है कि उनके सभी आंकड़े और जानकारी नेटवर्क में कूट भाषा में सुरक्षित होगी और केवल करदाता और आकलन अधिकारी ही इसे देख सकेंगे। जीएसटी-एन के सीईओ प्रकाश कुमार ने कहा कि सभी आंकड़े दो स्तरीय सुरक्षा ढांचे में रखे जाएंगे।
पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुमार ने उद्योगों को आश्वस्त किया कि जीएसटीएन सबसे बेहतर सुरक्षा प्रणाली वाले ढांचे को आंकड़ों को रखने के लिए अपनाएगा। उन्होंने कहा, आंकड़ों की सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरि है, क्योंकि जो भी चालान इसमें डाला जाएगा उसमें वस्तु की कीमत भी शामिल होती है। हम इस बात को समझते हैं कि आपके प्रतिस्पर्धी को यदि इसकी जानकारी लगती है तो यह आपके लिए परेशानी की बात होगी।
कुमार ने कहा, इसलिए जो भी जानकारी हमारे पास होगी वह कम्प्यूटर की कूट भाषा में होगी और उसके लिए हर संभव बेहतर सुरक्षा प्रणाली को इसमें रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि डाटाबेस प्रशासक को इस तरह से तैयार किया गया है कि कोई भी अन्य इन आंकड़ों को नहीं देख सकेगा। केवल दो लोग ही इन्हें देख सकेंगे एक करदाता खुद और दूसरा उसके कर अधिकारी, जो उसके लिए जवाबदेह होगा। इसलिए कोई अन्य इसे नहीं देख सकेगा।
60 हजार अधिकारियों को दिया जाएगा प्रशिक्षण
कुमार ने कहा कि जीएसटीएन मध्य-मई तक केंद्र और राज्यों के 60 हजार अधिकारियों को प्रशिक्षण देने का काम पूरा कर देगा ताकि उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी आधारित नई जीएसटी प्रणाली के लिए तैयार किया जा सके।
56 लाख करदाता पोर्टल पर हुए स्थानांतरित
उन्होंने कहा कि पहले ही मौजूदा वैट प्रणाली में शामिल करदाताओं में से 75.28 प्रतिशत को जीएसटीएन पोर्टल पर स्थानांतरित किया जा चुका है, जबकि सेवाकरदाताओं में से अब तक 31.5 प्रतिशत इसमें पहुंचे हैं। कुमार ने कहा कि उत्पाद, सेवाकर और वैट के तहत कर देने वाले कुल 80 लाख करदाताओं में से अब तक 56.5 लाख को जीएसटीनेटवर्क पोर्टल में स्थानांतरित किया जा चुका है।
हर महीने 300 करोड़ बिल किए जा सकेंगे लोड
उन्होंने कहा कि इस पोर्टल में हर महीने 300 करोड़ बिल अथवा चालान को लोड किया जा सकेंगे। जीएसटी प्रणाली में इस तरह के चालान पोर्टल से निकलेंगे। जीएसटी नेटवर्क का काम केंद्र, राज्य सरकारों और करदाताओं तथा अन्य संबद्ध पक्षों को जीएसटी प्रणाली के लिए नेटवर्क उपलब्ध कराना और उसका देखरेख करना है।