मुंबई। बाजार नियामक सेबी की कमान वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अजय त्यागी कल (बुधवार) संभाल लेंगे। वह यह जिम्मेदारी यू के सिन्हा से लेंगे जो छह साल के कार्यकाल के बाद पद से हट रहे हैं। सिन्हा का कार्यकाल गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और पूंजी बाजारों में कई सुधारों के लिये जाना जाएगा।
अगले महीने 65 साल के हो रहे सिन्हा की बाजार में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ, कंपनी कामकाज में चूक या अन्य चूक को लेकर कड़ा रूख अपनाए जाने को लेकर आलोचना की गई लेकिन उन्होंने कभी उसका जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा है कि जो सेबी को सक्रिय और ड्रैगन कह रहे हैं, उन्हें वास्तव में अपने निवेशकों की सक्रियता और ताकत से डरना चाहिए।
- सिन्हा को बड़ी कंपनियों, गलत तरीके से कोष जुटाने की योजनाओं और कुछ एक्सचेंज से जुड़े हाई प्रोफाइल मामलों से निपटना पड़ा।
- वहीं त्यागी के पास भी सुधारों को आगे ले जाने और कुछ लंबित जांच को निष्कर्ष पर पहुंचाने की चुनौती होगी।
- हिमाचल कैडर के 1984 बैच के आईएएस अधिकारी त्यागी ऐसे समय कार्यभार संभाल रहे हैं जब सेबी एलगो कारोबार के दुरूपयोग को रोकने के लिए व्यवस्था को मजबूत बनाने और साथ ही सोशल मीडिया के संदर्भ में मजबूत नियम बनाने की दिशा में काम कर रहा है।
- वह वित्त मंत्रालय में पूंजी बाजार की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं।
- सेबी प्रमुख बनाए जाने के बारे में पूछे जाने पर त्यागी ने इस महीने की शुरूआत में कहा, यह बड़ी जिम्मेदारी है और मैं इसके प्रबंधन को लेकर उत्सुक हूं।
डीआर मेहता के 1995 से 2002 तक साल साल के कार्यकाल के बाद सिन्हा का छह साल का कार्यकाल दूसरा सबसे लंबा कार्यकाल है। इस छह साल के दौरान सेबी ने निवेशकों के हितों के लिये व्यवस्था को दुरूस्त किया, सहारा, सारदा और रोज वैली ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई की और कई पोंजी योजनाओं को बंद करने के लिये मजबूर किया। साथ ही विजय माल्या समेत जानबूझकर चूक करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की।