नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और अन्य टेलीकॉम ऑपरेटर्स को सरकार को 1.4 लाख करोड़ रुपए देने पड़ सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से टेलीकॉम इंडस्ट्री को झटका लगा है, जो पहले से अरबों डॉलर के कर्ज तथा ग्राहकों को बनाए रखने के लिए शुल्क कटौती युद्ध से जूझ रहे हैं।
टेलीकॉम ऑपरेटर्स को उस समय बड़ा झटका लगा जब गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनसे करीब 92,000 करोड़ रुपए की समायोजित सकल आय की वसूली के लिए केंद्र की याचिका स्वीकार कर ली। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एम आर शाह की तीन सदस्यीय पीठ ने दूरसंचार विभाग द्वारा तैयार की गई समायोजित सकल आय की परिभाषा बरकरार रखी है।
सरकार ने संशोधित आय के आधार पर लाइसेंस शुल्क मद में भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया और कई बंद हो चुकी टेलीकॉम कंपनियों से 92,000 करोड़ रुपए की मांग की है। लेकिन स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क, जुर्माना और ब्याज को जोड़ने के बाद वास्तविक भुगतान करीब 1.4 लाख करोड रुपए बैठेगा।
सूत्रों ने कहा कि अगले कुछ दिनों में आंकड़ों पर विचार किया जाएगा। पुरानी दूरसंचार कंपनियां सर्वाधिक प्रभावित होंगी, जबकि दिग्गज उद्योगपति मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो के ऊपर सबसे कम राशि बनेगी। कंपनी 2016 में अस्तित्व में आई। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वोडाफोन-आइडिया का शेयर 23 प्रतिशत लुढ़ककर निचले स्तर पर आ गया। वहीं एयरटेल का शेयर 9.7 प्रतिशत नीचे आया। जियो की मूल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज 3.2 प्रतिशत मजबूत हुई।
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि टेलीकॉम ऑपरेटर्स के ऊपर सभी देनदारी का नए सिरे से आकलन किया जाएगा। कुल राशि करीब 1.34 लाख करेाड़ रुपए है। यह 4-5 प्रतिशत ऊपर जा सकता है। लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क समेत भारती एयरटेल पर सर्वाधिक 42,000 करोड़ रुपए की देनदारी बन रही है। वहीं वोडाफोन-आइडिया पर यह 40,000 करोड़ रुपए बैठेगा। जियो को केवल 14 करोड़ रुपए के आसपास देना पड़ सकता है। शेष राशि एयरसेल और रिलायंस कम्युनिकेशंस जैसे अन्य ऑपरेटर्स पर निकल सकती है।