नई दिल्ली। टेलीकॉम कंपनी Aircel के पास भारत में अपना ऑपरेशन धीरे-धीरे बंद करने के अलावा कोई और विकल्प की उम्मीद बहुत कम बची है। कोर्ट द्वारा रिलायंस कम्यूनिकेशंस के साथ इसके विलय पर पाबंदी लगाए जाने के बाद अब इसके सामने कोई रास्ता नहीं बचा है। कोर्ट ने Aircel के 2जी या 3जी स्पेक्ट्रम बेचने पर रोक लगा दी है। वहीं पैसे की तंगी और ज्यादा कर्ज के चलते एयरसेल को लगातार नुकसान हो रहा है। ऐसे में एक्सपर्ट्स और एनालिस्ट्स का कहना है कि कंपनी अपना कामकाज समेट सकती है।
एयरसेल के पास 4जी स्पेक्ट्रम नहीं है और उस पर करीब 20,000 करोड़ रुपए का कर्ज है, ऐसे में वह ऐसी डील करने की कोशिश कर सकती है, जिसमें उसके स्पेक्ट्रम को शामिल न किया जाए, लेकिन लगभग 8.9 करोड़ उपभोक्ताओं सहित इसकी दूसरी वायरलेस एसेट्स किसी बड़ी टेलीकॉम कंपनी को बेची जा सकें और करीब 40,000 टॉवरों को किसी अन्य कंपनी को बेचा जा सके। भारतीय कंपनी की मलेशियाई पैरेंट कंपनी मैक्सिस दिवालियापन के रास्ते अपना कारोबार नहीं समेटना चाहेगी, क्योंकि ऐसा होने पर मैक्सिस द्वारा बैंक गारंटी तुरंत चुकाने की नौबत आ जाएगी, जिस पर एक लंबी कानूनी लड़ाई चल सकती है।
एनालिस्ट्स ने कहा कि अगर एयरसेल के स्पेक्ट्रम बेचने के किसी भी कदम को सुप्रीम कोर्ट मंजूरी दे दे तो पूरी तस्वीर बदल सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि एयरसेल का लाइसेंस कैंसल कर दिया जाएगा। कोर्ट ने उसे 2जी या 3जी स्पेक्ट्रम तब तक बेचने से रोक दिया था, जब तक कि उसकी मलेशियाई पैरेंट कंपनी मैक्सिस के प्रतिनिधि कोर्ट के सामने पेश न हों। यह पहलू एयरसेल के आरकॉम में मर्जर के रद्द होने का प्रमुख कारण रहा। प्रमोटर टी आनंद कृष्णन और एक्विजिशन के वक्त मैक्सिस को चलाने वाले फॉर्मर एग्जिक्यूटिव राल्फ मार्शल अब तक कोर्ट के सामने पेश नहीं हुए हैं।
इसके साथ ही एयरसेल अपने कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग की कोशिश में है। वह तमिलनाडु, नॉर्थ ईस्ट और जम्मू कश्मीर सहित अपने कुछ प्रमुख सर्कल्स पर फोकस करने के लिए कामकाज घटा भी रही है। भारत में भारती एयरटेल के चीफ एग्जिक्यूटिव रहे संजय कपूर ने कहा कि अगर घाटा हो रहा हो और मार्केट में प्रासंगिकता खत्म हो गई हो तो कारोबार जारी रखने का कोई फायदा नहीं है। एकमात्र विकल्प यही है कि अपने ग्राहकों और राजस्व को दूसरी कंपनी के हाथों बेच दिया जाए और कर्ज चुका दिया जाए। एक विदेशी ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक एयरसेल के लिए टाटा टेलीसर्विसेज जैसा रास्ता अपनाना बेहतर होगा। उसे एयरटेल या जियो जैसे खरीदारों की तलाश करनी चाहिए।