नई दिल्ली। CBI एयर इंडिया (Air India) और इंडियन एयरलाइंस (Indian Airlines) के विलय के साथ साथ इन दोनों कंपनियों द्वारा विमानों की खरीद व उन्हें पट्टे पर देने में कथित अनियमितताओं की जांच करेगी। आरोप है कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के कार्यकाल में हुए इन सौदों से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। यह भी पढ़े: सीबीआई ने पकड़ा 2,200 करोड़ रुपए से अधिक धन विदेश भेजने का घोटाला, 13 कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज
दर्ज हुई FIR
सीबीआई ने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में इन दोनों कंपनियों के संबंध में किए गए विवादास्पद फैसलों की जांच के लिए तीन एफआईआर और एक प्रारंभिक जांच दर्ज की है। इसमें मुनाफे वाले मागो को निजी विमानन कंपनियों के लिए छोड़ने का मामला भी शामिल है। सीबीआई के प्रवक्ता आर के गौड़ ने कहा कि एयर इंडिया व नागर विमानन मंत्रालय के अग्यात अधिकारियों व अन्य के खिलाफ आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी तथा भ्रष्टाचार के आरोप में मामले दर्ज किए गए हैं। यह भी पढ़े: एयर इंडिया बेचेगी अपने सात जमीन के टुकड़े, 80 करोड़ रुपए जुटाने की है योजना
70000 करोड़ का एक और घोटाला
यूपीए सरकार के दौरान सिविल एविशन से जुड़े बड़े घोटाले में सीबीआई ने केस दर्ज किया है। इस घोटाले से जुड़े हुए तीन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है। पहला मामला विदेशी एयरक्राफ्ट कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए 70,000 करोड़ रुपये के 111 एयरक्राफ्ट की खरीद से जुड़ा है। इसके अलावा निजी एयरलाइन कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकारी एयरक्राफ्ट को लीज पर दिए जाने से जुड़ा एक मामला है। तीसरा मामला निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए फायदे वाले रूट छोड़ने से जुड़ा है। इन तीनों मामलों में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सिविल एविएशन, नेशनल एविएशन कंपनी ऑफ इंडिया लमिटेड और प्राइवेट कंपनियों के अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
UPA का एक और घोटाला?,
प्रवक्ता ने कहा कि ये मामले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में मंत्रालय द्वारा लिए गए फैसलों से संबंधित हैं, जिससे सरकार को हजारों करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। पहली एफआईआर के बारे में उन्होंने कहा कि आरोप राष्ट्रीय विमानन कंपनियों द्वारा 111 विमानों की खरीद के बारे में हैं जिनकी लागत 70,000 करोड़ रुपए थी। आरोप है कि इसमें विदेशी विमान विनिर्माताओं को फायदा पहुंचा। इस तरह की खरीद से पहले से ही संकट से गुजर रही राष्ट्रीय विमानन कंपनियों को वित्तीय घाटा हुआ। कैग ने 2011 में सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाया था। यह भी पढ़े: एयरसेल-मैक्सिस रिश्वत मामला : उच्च न्यायालय ने CBI की याचिका पर मारन बंधुओं से मांगा जवाब
CBI करेगी जांच
दूसरा मामला बड़ी संख्या में विमानों को लीज पर दिए जाने से जुड़ा है। तीसरा मामला मुनाफे वाले मार्ग विदेशी कंपनियों के लिए छोड़ने का है। एयर इंडिया के इस फैसले से कंपनी को भारी नुकसान हुआ। एजेंसी दोनों कंपनियों के विलय के सौदे के विभिन्न पहलुओं की भी जांच करेगी। सीबीआई ने यह कदम उच्चतम न्यायालय के पांच जनवरी के एक निर्देश के मद्देनजर उठाया है। सीबीआई सूत्रों ने कहा कि दोनों सरकारी विमानन कंपनियों के विलय के संबंध में सभी भागीदार उसकी निगरानी में हैं। उल्लेखनीय है कि इन कंपनियों के विलय की प्रक्रिया तत्कालीन नागर विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने 16 मार्च 2006 को शुरू की थी। यह भी पढ़े: नवीन जिंदल और अन्य को कोयला घोटाला मामले में आरोपी के रूप में समन, 4 सितंबर को होना होगा पेश