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5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य पाना संभव, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी जताई उम्मीद

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि 2024-25 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के सरकार के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को दूरदर्शी आर्थिक प्रबंधन के माध्यम से हासिल किया जा सकता है।

Written by: India TV Business Desk
Published on: August 25, 2019 11:58 IST
Pranab Mukherjee, Former President of India - India TV Paisa
Photo:PTI

Pranab Mukherjee, Former President of India 

कोलकाता। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि 2024-25 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के सरकार के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को दूरदर्शी आर्थिक प्रबंधन के माध्यम से हासिल किया जा सकता है। मुखर्जी ने कहा कि जीएसटी में ज्यादा स्पष्टता की जरूरत है और पिछले वर्ष से अर्थव्यवस्था में मंदी के कुछ संकेत नजर आने लगे थे जिससे जीडीपी वृद्धि दर कम हो गयी।

एसोसिएशन ऑफ कॉरपोरेट एडवाईजर्स एंड एक्जीक्यूटिव्स (एसीएई) के यहां आयोजित सत्र में उन्होंने कहा, 'अगर वित्त व्यवस्था का सही तरीके से और दूरदृष्टि के साथ प्रबंधन किया जाए तो पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है... निवेश के बगैर अर्थव्यवस्था में वृद्धि नहीं होगी।'

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बारे में मुखर्जी ने कहा, 'जीएसटी लागू होने से कई कर खत्म हो गए। लेकिन इसमें सरकार की तरफ से अधिक स्पष्टता होनी चाहिए ताकि अनुपालन बेहतर हो सके।' बढ़ती कॉरपोरेट धोखाधड़ी पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में इस तरह के घोटाले काफी बढ़ गए हैं।

आपको बता दें कि अभी अर्थव्यवस्था रैंकिंग के तौर पर भारत का नंबर 7वां है। भारत के सिर से दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था का ताज छिन गया है। अर्थव्यस्था की दृष्टि से भारत सातवें पायदान पर पहुंच गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था के साल 2018 में सुस्त रहने की वजह से भारत को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में ब्रिटेन और फ्रांस की अर्थव्यवस्था में भारत के मुकाबले ज्यादा ग्रोथ रिकॉर्ड की गई, जिस वजह से इन दोनों से एक-एक पायदान का छलांग लगाया है। ब्रिटेन 5 पांचवें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि छठे स्थान पर फ्रांस काबिज हो गया है। जिस वजह से भारत पांचवें स्थान से खिसक कर सातवें पायदान पर आ गया है। इस लिस्ट में अमेरिका टॉप पर बरकरार है।

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