नई दिल्ली। सरकार ने बैंकिंग सेक्टर के लिए शुक्रवार (20 अगस्त) को कई बड़े ऐलान किए। आर्थिक सुस्ती को दूर करने के प्रयासों के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 4 प्रमुख सरकारी बैंकों पीएनबी, केनरा, यूनियन बैंक और इंडियन बैंक में छह अन्य बैंकों के विलय की घोषणा की। 10 बैंकों के मर्जर का फैसला देश के बैंकिंग इतिहास में दूसरा बड़ा फैसला है। 50 साल पहले जुलाई 1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था।
बैंक कर्मचारी करेंगे बैंकों के विलय का विरोध
इधर बैंकिंग सेक्टर की ट्रेड यूनियनों की अंब्रेला बॉडी यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने शुक्रवार को सरकार द्वारा घोषित बैंकों के विलय की योजना के विरोध में आज शनिवार को देश भर में व्यापक विरोध-प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। यूएफबीयू के बैनर तले बैंक कर्मचारियों के 9 संगठन मर्जर के खिलाफ आज देशव्यापी प्रदर्शन करेंगे।ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन (AIBEA) के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने कहा कि शनिवार को देश भर में बैंक कर्मचारी भारी विरोध प्रदर्शन करेंगे और काले बैच लगा कर रखेंगे।
बैंकों के मर्जर से जुड़ी ये हैं 7 बड़ी बातें
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, 10 सरकारी बैंकों का विलय होकर 4 बड़े बैंक बनेंगे। इनका कुल कारोबार 55.81 लाख रुपए करोड़ का होगा। साथ ही बैंकों के विलय से कर्ज देने की लागत कम होगी और सरकारी बैंकों की अर्थव्यवस्था में मौजूदगी मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि 250 करोड़ से ज्यादा के हर कर्ज पर नजर रखी जाएगी।
- सीतारमण ने कहा कि एनपीए में कमी आई है। एनपीए की रकम 8.65 लाख करोड़ रुपए से घटकर 7.90 लाख करोड़ रुपए रह गई। कर्ज वसूली 14 सरकारी बैंकों का मुनाफा बढ़ा है। पिछले साल तीन बैंकों के विलय से फायदा हुआ, रिटेल लोन ग्रोथ में 25 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई।
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वित्त मंत्री ने कहा कि 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि लोन रिकवरी रिकॉर्ड स्तर पर हुई है और 250 करोड़ रुपए से ज्यादा के हर कर्ज पर हमारी नजर है।
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सीतारमण ने कहा कि भगोड़ा आर्थिक अपराध कानून के जरिए कई भगोड़ों की संपत्तियां जब्त कीं, उन्हें वापस लाने की कोशिशें जारी हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि नीरव मोदी जैसे मामलों को रोकने के लिए स्विफ्ट बैंकिंग सिस्टम (एसबीएस) लागू किया। अब तक 3.85 लाख शेल कंपनियां बंद कीं।
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वित्त मंत्री ने बताया कि बैंक रेपो रेट से जुड़े प्रोडक्ट लॉन्च करने को कहा था। इसका नतीजा यह निकला 8 सरकारी बैंकों ने इससे जुड़े होम, व्हीकल, कैश-क्रेडिट लोन जैसे प्रोडक्ट लॉन्च किए।
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वित्त मंत्री ने कहा कि लोन डॉक्यूमेंट्स की निश्चित समय सीमा में वापसी करने को कहा गया था। इसके बाद निर्देश जारी किए गए, जिन्हें लागू करवाने के लिए सीबीएस और रीजनल मैनेजर को जिम्मेदारी दी गई।
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वित्त मंत्री ने कहा कि सरकारी बैंकों के बोर्ड को उत्तराधिकार की योजना के लिए स्वायत्तता दी जाएगी। स्वतंत्र निदेशकों की सिटिंग फीस तय करने के लिए भी छूट दी जाएगी। आधिकारिक निदेशक स्वतंत्र निदेशकों की तरह भूमिका निभाएंगे। मैनेजमेंट की जवाबदेही तय करने के लिए राष्ट्रीय बैंकों की बोर्ड कमेटी जनरल मैनेजर और उच्च अधिकारियों (एमडी समेत) के प्रदर्शन की समीक्षा करेगी।
सरकार बैंकों में 55,250 करोड़ की पूंजी डालेगी
सरकार ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह सरकारी बैंकों में 55,250 करोड़ रुपये डालेगी, ताकि कर्ज देने को बढ़ावा दिया जा सके और विलय किए जाने वाले कर्जदाताओं का विनियामक अनुपाल सुनिश्चित की जा सके।
बैंक |
इतनी पूंजी मिलेगी (रुपए) |
पीएनबी |
16,000 करोड़ |
यूनियन बैंक |
11,700 करोड़ |
यूनियन बैंक |
6,500 करोड़ |
इंडियन ओवरसीज बैंक |
3,800 करोड़ |
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया |
3,300 करोड़ |
बैंक ऑफ बड़ौदा |
7,000 करोड़ |
इंडियन बैंक |
2,500 करोड़ |
यूको बैंक |
2,100 करोड़ |
यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया |
1,600 करोड़ |
पंजाब एंड सिंध बैंक |
750 करोड़ |
ऐसे शुरू हुआ बैंकों के विलय का सिलसिला
एसबीआई में उसके पांच सहायक बैंकों और महिला बैंक का विलय हुआ जो 2017 में प्रभावी हुआ। 2019 में तीन बैंकों का विलय किया गया। बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया और देना बैंक का विलय 2018 में घोषित हुआ था और अप्रैल 2019 से प्रभावी हुआ।
मर्जर का फैसला क्यों?
सरकार को लगता है कि मर्जर से बैंकों के कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी और उनकी बैलेंस शीट मजबूत होगी। सरकार का कहना है कि बैंकों को अंतरराष्ट्रीय आकार का बनाने के लिए यह फैसला लिया गया। यह सही वक्त है कि बैंकों को इस लायक बनाया जाए कि वे 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के लक्ष्य में भागीदार बन सकें। वित्त सचिव राजीव कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि बैंक के कर्मचारियों को किसी भी चरण में कोई नुकसान नहीं होगा। कोई छंटनी नहीं की जाएगी। मर्जर से कर्मचारियों की सुविधाएं बेहतर होंगी।