नई दिल्ली। विनिवेश की तैयारियों के बीच सरकार ने राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया में कर्मचारियों की नई नियुक्तियां और पदोन्नति पर रोक लगा दी है। कर्ज के बोझ से दबी कंपनी के विनिवेश की तैयारी जोरशोर से चल रही हैं, जिसके मद्देनजर एयरलाइन ने यह कदम उठाया है। सरकार द्वारा एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया जल्द शुरू किए जाने की उम्मीद है। एयर इंडिया पर 50,000 करोड़ रुपए से अधिक के कर्ज का बोझ है।
मामले से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि विनिवेश प्रक्रिया के लिए एयरलाइन के 15 जुलाई तक बही खाते को बंद कर दिया गया है। बोलियां मंगाने के लिए इन्हीं वित्तीय ब्यौरों का इस्तेमाल किया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि एयर इंडिया की हिस्सेदारी बिक्री से पहले पदोन्नति और नई नियुक्तियां रोक दी गई हैं।
एयरलाइन के स्थानीय कर्मचारियों की संख्या करीब 10,000 है। इस बारे में एयर इंडिया से तत्काल प्रतिक्रिया नहीं मिली है। नागर विमानन सचिव प्रदीप सिंह खरोला से भी इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं मिल पाई है। फिलहाल एयर इंडिया का प्रतिदिन का राजस्व 15 करोड़ रुपए है। सरकार ने 2018 में एयर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी के विनिवेश का प्रयास किया था लेकिन यह सफल नहीं हो पाया था। वित्तीय लेनदेन सलाहकार ईवाई ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सरकार द्वारा अपने पास 24 प्रतिशत हिस्सेदारी और अधिकार रखने के फैसले और ऊंचे कर्ज के बोझ की वजह से विनिवेश प्रक्रिया विफल रही।
नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने तीन जुलाई को राज्यसभा को बताया कि सरकार एयर इंडिया के विनिवेश के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा था कि हिस्सेदारी बिक्री से पहले सरकार एयरलाइन को परिचालन की दृष्टि से अधिक व्यावहारिक बनाना चाहती है। निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव अतनु चक्रवर्ती ने सात जुलाई को कहा था कि यदि पहले नहीं हो पाता है, तो भी हम एयरलाइन के विनिवेश की प्रक्रिया को दिवाली तक पूरा करने का प्रयास करेंगे।
पवन हंस के लिए बोली आकर्षित करने के लिए शर्तों को बनाया उदार
सरकार ने हेलिकॉप्टर सेवा कंपनी पवन हंस की बिक्री के लिए शर्तों को काफी उदार कर दिया है। सूत्रों के अनुसार बीते वित्त वर्ष में सरकार पवन हंस का निजीकरण करने में विफल रही थी, जिसके बाद यह कदम उठाया गया है। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने कर्मचारियों की छंटनी, संपत्तियों बिक्री और कर देनदारी से संबंधित शर्तों को नरम किया है। सरकार की ओर से बिक्री की जिन संशोधित शर्तों का प्रस्ताव किया गया है उनके तहत सफल बोलीदाता को स्थायी कर्मचारियों को कम से कम एक साल तक नौकरी पर बनाए रखना होगा। पहले यह समय कम से कम दो साल का था।
इसके अलावा सरकार ने फैसला किया है कि यदि पवन हंस के खिलाफ 577 करोड़ रुपए की कर देनदारी विवाद में फैसला कंपनी के खिलाफ जाता है तो उसका भार खरीदार पर नहीं पड़ेगा। बिक्री की संशोधित शर्तों के तहत यह भी तय किया गया है कि खरीदार द्वारा पवन हंस की संपत्तियों को अलग करने की समयसीमा को भी तीन साल से घटाकर दो साल कर दिया गया है।
सूत्रों ने कहा कि शर्तों में ढील से सफल बोलीदाता को पवन हंस के प्रबंधन में अधिक आजादी मिलेगी। सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में इस हेलिकॉप्टर सेवा प्रदाता की बिक्री का प्रयास किया था लेकिन उसे कोई खरीदार नहीं मिला था। सरकार की पवन हंस में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है। शेष 49 प्रतिशत हिस्सेदारी ओएनजीसी के पास है। कंपनी के बेड़े में 43 हेलिकॉप्टर हैं।